अणुव्रत विश्व भारती के तत्वावधान में अणुव्रत समिति द्वारा आयोजित अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के तहत अहिंसा दिवस आज माधावरम के जैन तेरापंथ नगर में तीर्थंकर संवसरण के पावस प्रवास में विराजित साध्वीश्री डॉ गवेषणाश्री जी ठाणा – 4 के सान्निध्य में मनाया गया।
साध्वीश्री जी ने कहा की आज अश्विन अमावस्या पाक्षिक पर्व है, जिसे पितृ दिवस जो अपने पूर्वजों और पितरों की शांति के लिए मनाया जाता है, इस उपलक्ष में भगवान शांतिनाथ और वीर प्रभु भगवान अरिष्टनेमी के बीजमंत्र का जाप करवाया गया जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाने वाला यह अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का द्वितीय दिवस के संदर्भ में साध्वीश्री ने कहा की प्रत्येक व्यक्ति में अहिंसामय चेतना का विवेक हो तो व्यक्ति एक आदर्श जीवन और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकता है।
अणुव्रत आंदोलन में गुरुदेव श्री तुलसी द्वारा प्रदत्त सिद्धांतो में मुख्य सिद्धांत अहिंसा है। यह एक ऐसा सिद्धांत है, जो न केवल व्यक्तिगत आचरण को प्रभावित करता है, बल्कि समाज और सम्पूर्ण ब्रह्मांड के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। अहिंसा का अर्थ केवल शारीरिक हिंसा से बचना नहीं है, बल्कि यह मानसिक और वाणी की हिंसा से भी दूर रहना है।
समिति उपाध्यक्ष श्री अरिहंत बोथरा ने अपने वक्तव्य में अहिंसा दिवस के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा की असल मायने में अहिंसा केवल एक नैतिक सिद्धांत नहीं, बल्कि यह जीवन जीने का एक तरीका है। जो कोई भी अपने जीवन में इस सिद्धांत को अपनाता हैं और इसे अपने व्यवहार में दर्शाता है उसका जीवन सरल और सफल होता है।
कार्यक्रम में समिति के अध्यक्ष श्री ललित आंचलिया, परामर्शक श्री गौतम सेठिया, श्री राकेश खांटेड समेत जैन श्वेतांबर तेरापंथ ट्रस्ट माधावरम के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। अणुव्रत समिति उपाधक्ष्य श्री अरिहंत बोथरा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
अणुव्रत समिति चेन्नई ने अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह की मीडिया पार्टनर राजस्थान पत्रिका के प्रति आभार व्यक्त किया।
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