अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के द्वितीय दिवस को आज अहिंसा दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर साध्वीश्री मंगलयशा जी ने कहा कि अहिसा से धर्म का विकास होता है। हमारे देश में महात्मा गांधी और लालबहादूर शास्त्री जैसे व्यक्ति हुए है जिन्होंने अहिंसा एवं भाईचारा से देश में शांति स्थापित की। बडी से बड़ी हिंसा को अहिंसा से परास्त किया जा सकता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अहिंसा का महत्व और बढ़ गया है। विश्व मे शांति रखनी है तो सभी को अहिंसा के मार्ग पर चलना होगा। अहिंसा से मानव जीवन का विकास किया जा सकता है। जैन धर्म में अहिसा अति शूक्ष्म है। हर धर्म में किसी न किसी रूप में अहिसा को महत्व दिया गया है। जीवन में अहिंसा के सुत्र अपनाए। प्रातः स्थानीय वर्धमान विद्या मन्दिर परिसर में विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए साध्वीश्री भास्कर प्रज्ञाजी ने कहा कि हमे वर्द्धमान बनना है। इस आत्मा में अन्नत शक्ति है। इस शक्ति का सम्यग नियोजन करें। किसी भी प्राणी को मन, वचन शरीर से तकलीफ ना पहुंचाए। झूठ बोलना भी हिसा है। जीवन में सदैव अहिंसा का अवतरण करें।
साध्वीश्री जी द्वारा विद्यार्थियों को महाप्राण ध्वनि एवं ओम के प्रयोग करवाये गये। कार्यक्रम में अणुविभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री ओमजी बांठिया ने साध्वीवृन्द स्वागत किया। विद्यालय के प्रिंसीपल पूनमचंद जी सुथार ने भी अपने विचार व्यक्त किये और साध्वीश्रीजी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अणुव्रत समिति के पदाधिकारी एवं महिला मण्डल के पदाधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन जवेरीलाल सालेचा ने किया।
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