प्रेक्षाध्यान वर्तमान में जीने का सूत्र है मुनिश्री जिनेश कुमार जी : उत्तर हावड़ा
आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में प्रेक्षा फाऊंडेशन तत्त्वावधान में उत्तर हावड़ा तेरापंथी सभा द्वारा त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान साधना कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ सभा भवन में हुआ। जिसमें लगभग 65 संभागियों ने भाग लिया। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेशकुमार जी ने कहा. मनुष्य का अतीत से गहरा लगाव होता है। जब तक अतीत का लगाव और व्यामोह नहीं छूटेगा, तब तक बदलाव नहीं आ सकता। अपनी जीवन शैली को बदलने के लिए अतीत से वर्तमान में आना होगा। प्रेक्षाध्यान जीवन के रुपान्तरण की प्रक्रिया है। वर्तमान में जीने का सूत्र है। ध्यान सिद्धी के लिए गुरु का उपदेश, श्रुद्धा एकाग्रता, नियमितता जरूरी है। मोक्ष का पथ है संवर निर्जरा है उन का साधन ध्यान है। ध्यान साधना के द्वारा व्यक्ति हर स्थिति में संतुलित रह सकता है। अनुशासन में रह सकता है संयम व संवर का विकास कर सकता है तीन दिनों में आप लोगों ने अच्छा प्रशिक्षण लिया तथा प्रशिक्षकों ने आप लोगों को अच्छा प्रशिक्षण दिया। निरन्तर साधना का क्रम चालू रहेगा तो घर परिवार समाज में शांति रहेगी और नकारात्मक भाव दूर होगा। इस कार्यशाला में मंजू सिपानी,रवि छाजेड़, मनीषा नाहाटा,अंजू कोठारी, रंजीत जी दुगड़, संजय पारख, अरुण नाहाटा, सुरेन्द जी सेठिया, आदि ने प्रशिक्षण दिया।