डॉ साध्वीश्री परमयशाजी के सान्निध्य में ‘लोगस्स- एक कल्पवृक्ष अनुष्ठान’ के कार्यक्रम का समायोजन हुआ। डॉ. साध्वी श्री परमयशाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि लोगस्स एक करिश्माई कल्पवृक्ष है। एक अनमोल चिंतामणि है। यह अचिन्त्य शाक्ति सम्पन्न स्तोत्र है। जिसमें 24 तीर्थकर भगवान की स्तुति है। लोगस्स पाठ हर दिन नई ऊर्जा, नव उम्मीद की रोशनी देता है। डिस्चार्ज एनर्जी को चार्ज करने के लिए यह एक चार्जर है। लोगस्स पाठ से मानव की तकदीर बदलती है तस्वीर बदलती है। दिशा और दशा बदलती है। तीर्थकर प्रभुवर के स्तवन से हर साल सौम्य बनता है। हर दिन दिनमणि जैसा हो सकता है। हर पल पारसमणि तुल्य बन जाता है। 365 दिन मंगलमय आनंदम्य रहते है। 100 प्रतिशत हैप्पीनेस चाहिए तो 100 प्रतिशत मन से तन्मयता से जागरूकता से अनुष्ठान के लिए समर्पित हो जाइए। यह लोगस्स पाठ नकारात्मकता को दूर करता है। सकारात्मकता से हमें शक्तिमान बनाता है। हम महान बने, शक्तिमान बने,
एक दिन भगवान बने। आपने आगे कहा कि क्या है लोगस्स एक कल्पवृक्ष महाअनुष्ठान? विभाव से स्वभाव की मात्रा, अर्हम से अर्हन् का महायोग, विकल्प से संकल्प का महायोग, प्रमाद से अप्रमाद का महापथ, सुखी जीवन की चाबी, अध्यात्म का समृत कलश, आत्मकल्याण की परियोजना और आत्मसमाधि का उपहार।
डॉ. साध्वी श्री परमयशाजी, विनम्रयशाजी, मुक्ताप्रभाजी और कुमुदप्रभाजी ने करुणा निधान लोगस्स वरदान पावन गीत का संगान किया और एक लय, एक तान, एक ध्यान की सुमधुर स्वर लहरियों से तैरापंथ भवन अनुगूंजित हो गया। जिसने भी इसमें भाग लिया वह धन्य कृत्पुण्य हो गया।
सामूहिक एकासन अनुष्ठान महिला मंडल, उदयपुर द्वारा कराया गया जिसमें लगभग 375 श्रावक-श्राविकाओं ने एकासन का लाभ प्राप्त किया। लोगस्त कल्पवृक्ष एक अनुष्ठान में लगभग 175 जोड़ों ने शानदार प्रस्तुति दी।
एकासन अनुष्ठान से पूर्व साध्वीवृंद ने ‘मुझे एकासन करना है’ गीत का संगान किया और सबको शुभ भावना प्रेषित की तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमति सीमा जी बाबेल ने लोगस्स – एक कल्पवृक्ष आध्यात्मिक अनुष्ठान में सबका स्वागत किया और तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री श्रीमति ज्योति जी कच्छारा ने सबका आभार ज्ञापन किया। सूचना तेरापंथ परिषद अध्यक्ष भूपेश खमेसरा ने दी।
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