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मंगलभावना समारोह का आयोजन : ईरोड

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मुनि श्री रश्मिकुमार जी व मुनि श्री प्रियांशुकुमार जी के सान्निध्य में स्थानीय तेरापंथ भवन में तपोभिनंदन, मंगलभावना और दीपावली स्नेह मिलन का संयुक्त कार्यक्रम आयोजित किया गया।
मंगलाचरण श्रीमती पिंकी वैदमुथा एवं श्रीमती पिंकी जीरावला द्वारा नवकार मंत्र है-महामंत्र। ‘इस मंत्र की महिमा भारी है’ मधुर संगान से प्रारम्भ हुआ। प्रवक्ता उपासक श्री हनुमानमलजी दुगड, उपासक श्री प्रकाशजी पारख, महासभा उपाध्यक्ष श्री नरेन्द्र जी नखत, कार्यकारिणी सदस्य श्री सुरेन्द्र जी भंडारी, सभा अध्यक्ष श्री जवेरीलालजी भंसाली, मंत्री श्री दुलीचंद जी पारख, सहमंत्री श्री सुरेशजी चौपड़ा, ट्रस्ट से श्री सुरेन्द्र जी सुराणा, महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती पिंकी भंसाली, मंत्री श्रीमती पूनम दुगड, श्रीमती रेणु जी नखत, युवक परिषद् अध्यक्ष श्री महेन्द्रजी भंसाली, ज्ञानशाला प्रभारी श्री राजेशजी बोथरा, श्रीमती पिंकी जीरावाला, श्रीमती प्रज्ञा सुराणा, ज्ञानशाला प्राध्यापिका प्रशिक्षिका श्रीमती कविताजी सिंघी, श्रीमती अमिताजी बैद, श्रीमती बबीताजी पटावरी, सनाया नखत, हर्षित भंडारी, नैतिक सिंघी, वंश जीरावला, काव्या गोलेछा इन सभी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। महिला मण्डल द्वारा गीतिका मंगलमय हो यात्रा मुनिवर मंगल सबका हो…आज विदाई की घड़ियों में भरा हुआ है सबका मन…से सभी की आँखें नम हो गई और युवक परिषद् द्वारा मधुर संगान गम जुदाई का ये दे के, यूं ना तड़फाओ…करते विनती आपसे यूं छोड़ ना जाओ… द्वारा विदाई गीत संगान की सुन्दर प्रस्तुति दी गई। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों, कन्या मंडल और किशोर मण्डल द्वारा सामूहिक रूप से हमारा परिवार…हमारी जिम्मेदारी पर आधारित घर की जिम्मेदारी में सम्पूर्ण परिवार की जवाबदारी, जिम्मेदारी होती है पर रोचक एवं प्रेरणादायी नाटिका की प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मुनि श्री प्रियांशु कुमार जी ने भी प्रेरणादायी प्रवचन में चातुर्मास में हुई अनुष्ठानों, आध्यात्मिक कार्यक्रमों के बारे में और सम्पन्नता से संबंधित विषय पर अपना उद्बोधन श्रवण करवाया। मुनि श्री रश्मिकुमार जी ने जय महावीर भगवान…मेरे मन मन्दिर में आओ धरू निरन्तर ध्यान…संगान द्वारा पावन पाथेय श्रवण करवाया, मुनिश्री ने युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी को कृतज्ञता ज्ञापित-अर्पित करते हुए कहा कि इरोड चातुर्मास गुरुकृपा से ही मिला है, बहता पानी निर्मला…साधु रमता भला…की कहावत के साथ सभी आध्यात्मिक जीवन जीने का प्रयास करते रहे और कहा कि संघ सेवा, समर्पण भाव, जप, तप, ध्यान, सामायिक और स्वाध्याय नित्य हो और रास्ते की सेवा करने से भी संघ सेवा होती है। और मनुष्य जीवन भी अनेकों बार प्राप्त होता हैं। प्रवचन श्रवण करवाया, इरोड चातुर्मास दौरान हुए सभी आध्यात्मिक अनुष्ठानों में, शिविरों में, कार्यशालाओं में ईरोड श्रावक व श्राविका समाज की उपस्थिति परिवारों की दृष्टि से अच्छी रहती थी और तपस्या का भी अनूठा क्रम चला। मुनि श्री रश्मि कुमार जी आदि ठाणा के चातुर्मास में ईरोड चातुर्मास भी महत्वपूर्ण रहा। मुनि श्री गुरुदेव के इंगित पर विश्वास के साथ खरे उतरे सभी को आध्यात्मिक ज्ञान, प्रेरणादायी, प्रभावित प्रवचन भी श्रवण करवाये। मंत्रों के भी अनुष्ठान, प्रातःकाल प्रार्थना के साथ भक्तांबर स्तोत्र की स्तुति, दोपहर को तत्व ज्ञान की कार्यशाला, आदि और सांय काल प्रतिक्रमण के साथ अर्हत वंदना और रोचक एवं प्रेरणादायी कथाएं, घटनाएं आदि का भी श्रवण करवाते थे।
मुनिश्री का ईरोड चातुर्मास हमारे लिए विशेष प्रेरणादायी रहा। गुरुदेव की कृपा सदैव ईरोड पर बरसती रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन महिला मण्डल अध्यक्षा श्रीमती पिंकी भंसाली ने किया। आभार ज्ञापन सभा मंत्री श्री दुलीचंद जी पारख ने ज्ञापित किया। तपस्वियों का अभिनंदन, जैन विधा के परीक्षार्थियों और नवरात्रि अनुष्ठान पर एकासन, ओली आयम्बिल तप, सभी का अभिनंदन सभा द्वारा मोमेंटो प्रदान कर किया गया। मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। उपरोक्त जानकारी तेयुप के मीडिया प्रभारी श्री सुरेश चौपड़ा द्वारा प्राप्त हुई।

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