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पर्यावरण शुद्धि दिवस का आयोजन : अररिया कोर्ट

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मुनिश्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ठाणा-2 के पावन सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत चौथे दिन ‘पर्यावरण शुद्धि दिवस’ के रूप में अणुव्रत समिति के तत्वावधान तेरापंथ भवन अररिया कोर्ट में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनिश्री के महामंत्रोच्चार के साथ हुआ। पर्यावरण शुद्धि दिवस पर आधारित ‘स्वस्थ -साधक, मार्ग- दर्शक, बन बड़ों आगे’ सुमधुर ध्वनि के साथ भावपूर्ण गीतिका प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। आए हुए अतिथियों का अणुव्रत समिति के संरक्षक श्री सागर मल जी चिंडालिया द्वारा भावपूर्ण स्वागत किया गया।तेरापंथ कन्या मंडल की संयोजिका समृद्धि बेगवानी, आंचल हीरावत, शिवानी हीरावत द्वारा आचार्य श्री महाश्रमण जी की रचित गीतिका ष्मानव की जीवन शैली संयम से भावित हो.. ‘अणुव्रत चेतना गीत से मंगलाचरण किया’।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नगर पालिका के उप चेयरमैन अणुव्रत समिति के अध्यक्ष भंवर लाल जी बेगवानी मंचासीन थे। इस अवसर पर मुनिश्री ने अपने मंगल पाथेय में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ‘अणुव्रत का एक प्रमुख प्रकल्प है पर्यावरण शुद्धि’। इस प्रकल्प के तहत् लोगों मे पर्यावरण शुद्धि के प्रति जागरूकता लाने के लिए संयम की चेतना जरूरी है। अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया। और उसके द्वारा उन्होंने संपूर्ण जन मानस को अहिंसा नैतिकता और नशा मुक्ति का संदेश दिया। उनके नेतृत्व में चरित्रात्माओं और कार्यकर्ताओं ने भी इस अभियान में संयम को निवेदित किया। अणुव्रत अनुशासास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने भी अहिंसा यात्रा के द्वारा अणुव्रत के सिद्धांतों को संपूर्ण जनमानस में प्रसारित करने का प्रयास किया। वर्तमान मैं भी अणुव्रत का कार्य प्रगतिशील है -मुनि श्री ने- पर्यावरण शुद्धि बीसवीं सदी के आखिरी दो-तीन दशकों का नारा है। पर्यावरण है क्या पृथ्वी? पानी वायु वनस्पति और प्राणी – ये सब मिलकर ही पर्यावरण का निर्माण करते हैं। इनमें जब तक संतुलन बना रहता है, पर्यावरण ठीक रहता है। इनका असंतुलन ही पर्यावरण को प्रदूषित करने वाला है। इसीलिए भगवान महावीर ने पृथ्वी, पानी आदि के संयम की बात कही। इसलिए पृथ्वी, पानी आदि का संयम चारित्रिक दृष्टि से ही नहीं, पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए भी आवश्यक है । मुनिश्री ने कहा कि देश में गरीबी, हिंसा, आतंक, पर्यावरण प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। आंकड़े बताते हैं कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद हिंसा का स्तर चार गुना बढ़ गया। अपनी सुख- सुविधाओं की पूर्ति के लिए मनुष्य पृथ्वी का अनावश्यक दोहन कर रहा है। आधुनिक पीढ़ी के लिए तो – नहीं का महत्व अधिक हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति चार प्रकार के संबंधों से जुड़ा हुआ है-वर्तमान स्थिति की यथार्थता यही है कि मनुष्य ने दूसरे मनुष्य के प्रति, समाज के प्रति और पृथ्वी के प्रति अपने दायित्व और जिम्मेदारियों को भुला दिया है क्योंकि उसकी श्रम-समय- शक्ति केवल अर्थात् व्यक्तिगत लाभ को अर्जित करने में ही लगी हुई है और इस प्रकार की जीवनशैली का एकमात्र कारण है- असंयम की चेतना।
अणुव्रत संयम चेतना को पुष्ट करने का आसान और उत्तम तरीका है। अणुव्रत आचार संहिता के नियम अर्थात् छोटे-छोटे व्रत व्यक्ति के भीतर समाज और पर्यावरण के प्रति मैत्री, प्रेम, करुणा और अहिंसा की भावना को उजागर करके उसे शांति और सुख प्रदान करने वाले हैं। व्यक्तिगत स्तर पर नैतिकता, धार्मिकता और व्रत चेतना का जागरण मात्र एक व्यक्ति के लिए ही नहीं, परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए वरदान स्वरूप है। मुख्य अतिथि नगर पालिका के चेयरमैन श्री विजय मिश्रा उप चेयरमैन गौतम साह द्वारा ’पर्यावरण को शुद्व कैसे करें’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष धर्मचंद जी चोरडिया, सभा मंत्री राजू जी दुधेडिया, अणुव्रत समिति के संरक्षक सागर मल जी चिंडालिया, पूर्व उपाध्यक्ष श्री महावीर जी अग्रवाल, संगठन मंत्री राजेश जी बेगवानी, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री प्रदीप जी चिंडालिया, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष सरिता बेगवानी, ज्ञानशाला की ज्ञानार्थी सुश्री दिशा बेगवानी आदि ने पर्यावरण शुद्धि पर अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। इस मौके पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित अररिया नगर पार्षद श्री विजय जी मिश्र एवं उप पार्षद श्री गौतम जी साह का तेरापंथ सभा अध्यक्ष धर्मचंद जी चोरडिया, अणुव्रत समिति के संरक्षक सागरमल जी चिंडालिया, तेरापंथ सभा के मंत्री राजू जी दूधेडिया, नेपाल बिहार के पूर्व अध्यक्ष श्री भैरूदान जी भूरा एवं हनुमान मल जी चोरडिया द्वारा जैन दुपट्टा एवं साहित्य देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में वार्ड पार्षद श्रीमती रीना देवी भूतेडिया, राजू राम जी एवं दीपांकर दासगुप्ता जी भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का कुशल व सफल संचालन अनुव्रत समिति के मंत्री नितिन दूगड़ द्वारा किया गया। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री भंवर लाल जी बेगवानी ने आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का समापन मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ के मंगल पाठ से हुआ है। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथियों द्वारा तेरापंथ भवन में वृक्षारोपण किया गया।

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