प्रेक्षा प्रवाह-‘शांति और शक्ति की ओर’ कार्यशाला का आयोजन साध्वीश्री मंगलप्रज्ञा जी ठाणा-6 के सान्निध्य में किया गया। साध्वीश्री प्रो. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि दीर्घकाल से प्रेक्षाध्यान की साधना चल रही है। आचार्य श्री तुलसी के युगीन सोच और आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की अखंड साधना प्रेक्षा ज्ञान की पृष्ठभूमि में निहित है। साध्वीश्री डॉक्टर राजुल प्रभा जी ने विषय का प्रतिपादन किया।
कार्यशाला की शुरुआत नमस्कार महामंत्र के द्वारा हुई। घाटकोपर महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती भावना जी चपलोत ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। कार्यशाला में प्रेक्षा प्रशिक्षिका बहनों की उपस्थिति रही। श्रीमती अंजू जी बाफना, श्रीमती मीना जी साभद्रा, श्रीमती मीना जी कच्छारा ने कार्यशाला को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया। साध्वीश्री अतुलयशा जी ने संभागियों को कायोत्सर्ग का प्रयोग करवाया। 80 की संख्या में बहनों की उपस्थिति रही। आभार ज्ञापन श्रीमती अंजू जी बाफना के द्वारा किया गया।
