साध्वीश्री पावनप्रभा जी आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में मैसूर के तेरापंथी सभा भवन में 161वाँ मर्यादा महोत्सव बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ से पूर्व एटीडीसी से सभा भवन तक रैली निकाली गई। इस कार्यक्रम में मैसूर एवं लगभग 13 क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाओं की अपस्थिति रही।
कार्यक्रम का प्रारंभ मंगलाचरण मैसूर कन्या मंडल द्वारा भिक्षु अष्टकम से किया गया एवं सभाध्यक्ष प्रकाश दक रॉयल द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर साध्वीश्री पावनप्रभाजी ने कहा कि मर्यादा वह मशाल है जो जीवन को जगमगा देती है, मर्यादा वह पतवार है जो डगमगाती नौका को पार लगा देती है, मर्यादा दुर्गुणों के लिए स्पीड ब्रेकर है तो सद्गुणों के लिए वन वे है। जहां मर्यादा है वहाँ विकास, विश्वास है। किसी भी धर्मसंघ का आधार संख्या नहीं, सुदृढ़ आचार व मर्यादा है। आचार्य भिक्षु ने अपने धर्मसंघ में क्वांटिटी को नहीं, क्वालिटी को महत्व दिया। इसीलिए दीक्षा देते समय दीक्षार्थी को वैराग्य की कसौटी पर कसा। संख्या का कभी मोह नहीं किया। आचार्य भिक्षु ने आज्ञा, अनुशासन, मर्यादा, संगठन व्यवस्था का सूत्रपात कर संघ को महान बना दिया।
साध्वीश्री आत्मयशा जी और साध्वीश्री उन्नतयशा जी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति वक्तव्य के माध्यम से दी। इस अवसर पर मैसूर महिला मंडल, तेयुप, टीपीएफ एवं प्रियापट्टना, चित्रदुर्गा, हियूर, मंडया आदि क्षेत्रों से पधारे पदाधिकारी गण ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के बच्चों ने आचार्यश्री भिक्षु एवं उनकी मर्यादा पर आधारित सुंदर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन साध्वीश्री रम्यप्रभा जी ने किया।
