मुनिश्री कुलदीप कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु एक विलक्षण दूरदर्शी और आत्मार्थी व्यक्तित्व थे। जिन्होंने अपने प्रखर परिश्रम एवं सूझबूझ से तेरापंथ को मर्यादाओं की ऋचाओं से अभिमंत्रित कर विकास के शिखर पर पहुंचा दिया। उनका तपोमय, ओजमय आदर्श जीवन सदियों तक लोकमानस के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहेगा।
मुनिश्री मुकुल कुमार जी ने कहा कि मर्यादा सुरक्षा प्रगति और विकास की सर्जक है स्वयं को नियंत्रित रखने वाला कछुआ सदा सुरक्षित रहता है। दोनों तटों के बीच बहने वाली सरिता महासागर तक पहुंच जाती है और जड़े जमाकर खड़े रहने वाला वृक्ष अद्भुत रूप से पुष्पित, पल्लवित और विकसित होता है। गण विशुद्धिकरण हाजरी अपने आप में रहस्यगर्भित है। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ मुनिश्री के मंगलमंत्रोच्चार से हुआ।
इस अवसर तेरापंथ मुंबई सभा के अध्यक्ष माणक जी धींग श्री तुलसी महाप्रज्ञ फाऊंडेशन कांदिवली के अध्यक्ष मेघराज जी धाकड़ ने अपने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ सभा एवं तेरापंथ युवक परिषद के कार्यकर्ताओं ने सामूहिक प्रस्तुति दी। तेरापंथी महिला मंडल की सामूहिक प्रस्तुति में सुमधुर संगायिका मीनाक्षी भूतोड़िया ने गीत का संगान कर भावपूर्ण प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन तेरापंथ सभा, मुंबई के मंत्री दिनेश जी सूतरिया ने किया। आभार ज्ञापन तेयुप, कांदिवली के अध्यक्ष राकेश सिंघवी ने किया।
