साध्वी श्री कीर्तिलता जी आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में तेरापंथ भवन में भक्तामर जप अनुष्ठान का आयोजन किया गया। साध्वी श्री कीर्तिलताजी ने आपने छोटे से प्रवास में विविधमुखी कार्यक्रम करवाये। कभी अन्त्याक्षरी रखी तो कभी ध्यान का स्वल्पकालिक शिविर आदि अनेकों कार्यक्रम करवाए। साध्वी श्री शांतिलता जी ने त्रिपदी वन्दना करवाते हुए आचार्य मानतुंग द्वारा रचित भक्तामर स्तोत्र को एक चामत्कारिक व प्रभाव-शाली स्तोत्र बताया।
साध्वी श्री पुनमप्रभाजी ने पूरे स्तोत्र का सामूहिक पाठ करवाते हुए विभिन्न पद्यों की महिमा बताई। भक्तामर स्तोत्र के कुछ पद्य ऐसे हैं जिनका प्रभाव आधि, व्याधि को दूर कर हमें समाधि प्रदान करने वाला होता है तो कुछ पद्य समस्या दूर करने में सहायक है। साध्वी श्री कीर्तिलताजी ने उपसंहार करते हुए कहा कि भक्तामर स्तोत्र में जो मंत्र है उन मंत्रों की साधना जो तन्मयता से करता है, एकाग्रता से करता है वह निश्चित रूप से फल प्राप्त कर सकता है। आपने यह भी बताया कि भक्तामर स्तोत्र का पाठ दिन में 12 बजे से पूर्व किया जाता है। मंत्र हमें सहन करने की शक्ति प्रदान करता है। अनुष्ठान में महिलाओं ने चूंदड़ एवं पुरुषों ने सफेद पोशाक पहनी। जोड़े से कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें कुल 26 जोड़ो ने जप किया।
