मुनिश्री तत्त्वरुचि जी ‘तरुण’ ने मानसरोवर ज्ञानशाला के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ज्ञानशाला मानवता के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण का सर्वाेत्तम उपक्रम है। यह भावी पीढ़ी में सुसंस्कारों के बीजारोपण की प्रयोगशाला है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज और समृद्ध राष्ट्र की कल्पना तभी साकार हो सकती है जब हम इसके लिए वर्तमान को संवारने का सामूहिक प्रयास करेंगे। उक्त कार्यक्रम तेरापंथी सभा जयपुर के तत्त्वाधान में पद्मावती पोरवाल भवन के प्रांगण में समायोजित हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका बहिनों द्वारा ‘अर्हम्-अर्हम् की वंदना फले’ गीत का संगान किया गया। सभाध्यक्ष शांतिलाल जी गोलछा, ‘युवक रत्न’ राजेंद्र जी सेठिया एवं ज्ञानशाला संयोजिका रितु जी जैन ने ज्ञानशाला के प्रति अपने उद्गार व्यक्त किए।
इस अवसर पर युवक रत्न राजेंद्र कुमार सेठिया, सभाध्यक्ष शांतिलाल गोलछा, राजेंद्र कुमार बांठिया, मंत्री सुरेंद्र कुमार सेखानी, पद्मावती पोरवाल जैन समिति के अध्यक्ष रमेशचंद शाह, शहर महिला मंडल अध्यक्ष नीरू मेहता, तेयुप अध्यक्ष गौतम बरड़िया, ज्ञानशाला संयोजिका रितु जैन ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविका उपस्थित थे। कार्यक्रम के पूर्व में जैन संस्कार विधि से मंगल मंत्रोच्चार किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन आंचलिक संयोजक सौरभ जैन द्वारा किया गया।
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