अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल एवं प्रेक्षा फाउंडेशन के द्वारा निर्देशित तेरापंथ महिला मंडल, गांधीनगर-बैंगलोर द्वारा आयोजित शांति और शक्ति की ओर कायोत्सर्ग कार्यशाला आयोजित की गई है। बहनों ने मंगलाचरण प्रेक्षा गीत के द्वारा किया। अध्यक्ष रिजु डूंगरवाल ने सभी बहनों का स्वागत किया। प्रेक्षा प्रशिक्षिका श्रीमती पुष्पा चोरड़िया ने कायोत्सर्ग क्यों करें और उसके लाभ के बारे में बताया। पहले के समय में जल्दी उठना, सोना, खाना होता अर्थात सब समय पर होता, बिना कोई तनाव के पर आज कल सब लेट होता है, जिससे तनाव बढ़ता है। जैसे काम का तनाव नौकरी में ज्यादा सोचने से तनाव, अधिक तनाव होने से हृदय की गति बढ़ जाती है, जिससे छोटी उम्र में हार्ट अटैक आता है। तनाव का प्रभाव लंग्स पर भी पड़ता है, इसका प्रभाव पाचन तंत्र पर भी पड़ता है। जिससे हमारे शरीर में रसायन बदल जाते हैं और बहुत सारी बीमारियों का कारण बनता है। तनाव से जो हमारी नाड़ियाँ तन जाते हैं। कायोत्सर्ग से वह शीतल हो जाती हैं तो हमारे शरीर में ये तनाव कम हो जाता है। अल्फा रेस विकसित होती है अनुकंमा नाड़ी तंत्र जो हमें ऊर्जा प्रदान करती है। उस ऊर्जा को बैलेंस करते हैं। ध्यान का अंतिम बिंदु व प्रथम बिंदु दोनों ही कायोत्सर्ग है, आध्यात्मिक नाड़ी वीतरागता के लिए भी कायोत्सर्ग पाँच, दस, तीन मिनट का भी कर सकते हैं। खड़े होकर, बैठकर सोकर भी कर सकते हैं। कायोत्सर्ग का अर्थ है- काया + उत्सर्ग शरीर के ममत्व को छोड़ना हैं। शिथिलता से सोचना कम हो जाता है, जिससे भाव कम आते हैं और कर्म का आगमन कम होता है, शीतलता के कारण हमारे अंदर नकारात्मक भाव कम हो जाते हैं जब हम आगे बढ़ते हैं आभा मंडल को देखते हैं तो हमारे भाव शुद्ध हो जाते हैं और हमारी लेशया शुद्ध होती है। धीरे-धीरे हम जब पाँचवें चरण में जाते हैं तो ममत्व कम हो जाता है, जिसमें शरीर भिन्न व आत्मा भिन्न का अहसास होता है। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल परामर्श शिक्षा का श्रीमती लता जी जैन ने आंधे घंटे का कायोत्सर्ग कराया और हमें प्रेक्टिकली महसूस कराया किस तरह आत्मा और शरीर बिन हो सकते हैं। मंत्री ज्योति संचेती, सहमंत्री प्रमिला धोका एवं 36 बहनें उपस्थित थीं। करुणा संचेती ने आभार व्यक्त किया।
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