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कायोत्सर्ग कार्यशाला का आयोजन : वैदिक विलेज शिकारपुर

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मुनि श्री जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्वावधान में, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार व दक्षिण कोलकाता तेरापंथ महिला मंडल के आयोजनत्व में वैदिक विलेज में कायोत्सर्ग कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस अवसर पर मुनि श्री जिनेशकुमार जी ने कहा कि वर्तमान का युग तनाव, विलासिता, अंधानुकरण का युग है। तनाव के कारण नाना प्रकार के रोगों का सामना करना पड़ रहा है। तनाव से मुक्ति पाने का अमोघ साधन है-कायोत्सर्ग। कायोत्सर्ग देह से विदेह की यात्रा है। बहिर्यात्रा से अंतर्यात्रा के लिए प्रस्थान करने का उपक्रम है। निर्विचारता, निर्विकल्पता, निर्विकारता के शिखरों पर पहुंचने की प्रक्रिया कायोत्सर्ग है। कायोत्सर्ग भेद विज्ञान की साधना है। आत्मा पर जमे मालिनता के आवरण को दूर करने का दुर्लभ साधन कायोत्सर्ग है। कायोत्सर्ग का अर्थ तनाव विसर्जन व ममत्व का विसर्जन है। यह आध्यन्तर तप है।
जैन साधना का अभिन्न अंग है। कायोत्सर्ग दो प्रकार का है-चेष्टय व अभिभव कायोत्सर्ग है। खड़े-खड़े कायोत्सर्ग की साधना सर्वाेत्तम है। कायोत्सर्ग मंगल है। जैन मुनिश्री की हर गतिविधि में कायोत्सर्ग का विधान है। कायोत्सर्ग एक प्रकार का प्रायश्चित्त है। कायोत्सर्ग से व्यक्ति समचित्तता का विकास करता है। ध्यान से पूर्व कायोत्सर्ग किया जाता है। कायोत्सर्ग से भाव विशोधन होता है योग स्थिर होता है। इस अवसर पर प्रेक्षा प्रशिक्षिका मीना साभद्रा ने कायोत्सर्ग का वैज्ञानिक आधार बताया। स्वागत भाषण साउथ कोलकाता कि महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती पदमा जी कोचर ने दिया। प्रेक्षा प्रशिक्षिका मंजु जी सिपाणी ने प्रेक्षाध्यान की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री कुणाल जी ने गीत के संगन से किया। आभार ज्ञापन साउथ कोलकाता तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री अनुपमा नाहटा ने किया।

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