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प्रभु पार्श्व प्रणति अनुष्ठान का आयोजन : हासन

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साध्वीश्री संयमलता जी के सान्निध्य में प्रभु पार्श्व जयंती पर विशेष अनुष्ठान का कार्यक्रम हासन तेरापंथ सभा भवन में आयोजित किया गया। नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तेरापंथ युवक परिषद द्वारा प्रभु पार्श्व की स्तुति में मंगल गान किया। साध्वीश्री संयमलता जी ने कहा कि भगवान महावीर ने आत्मा शुद्धि साधना के लिए हमें अनेक आयाम दिए है। उन आयामों से प्रत्येक व्यक्ति अपनी रुचि, क्षमता, व अनुकूलता के अनुसार अपने साधना पथ का चुनाव कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। इसी क्रम में एक आयाम है-जप अनुष्ठान आज तीर्थंकर भगवान पार्श्व की जन्म जयंती है, इस दिन मंत्रों की सिद्धि एवं सफलता का सिद्ध दिन होता है अतः ॐ ह्लीं श्री पार्श्वांनाथाय का सभी को जप करना चाहिए। वज्रपंजराभ रक्षाकवच भौतिक सिद्धि व आध्यात्मिक समृद्धि, वैभव, को प्राप्त कराने वाला है। मंत्रों का उच्चारण हमारे चारों तरफ एकं सशक्त प्रकम्पनों से हमे अपनी शक्तियों को जागृत कर सही दिशा में नियोजित कर सकते है। साध्वीश्री मार्दवश्री जी ने अनुष्ठान करवाते हुए स्वर विज्ञान जो मानसिक एकाग्रता का घोतक है, स्वर तीन प्रकार के होते है। चंद्र, सूर्य, सुषुम्ना स्वर, जिस समय सुषुम्ना स्वर चलता है तब साधक अंतर्मुखता की और अग्रसर होता है। जप अनुष्ठान का प्रारंभ चक्र स्वर से करने से सफलता मिलती है, उसके पश्चात मुद्रा विज्ञान कहा जाता है अपने हाथ जगन्नाथ यानि मुद्राओं के द्वारा मानसिक स्थिरता एवं अनेक रोगों, दुर्बलताओं को दूर करने वाली है। शंखमुद्रा के द्वारा मन की चंचलता को दूर कर अनुष्ठान मैं तल्लीनता लाए। अर्हम की ध्वनि के साथ मंत्र की शक्ति वृद्धिगत हो जाती है। विविध लय से अर्हम का उच्चारण किया गया।
पार्श्व अनुष्ठान में आत्मारक्षा कवच जो की बाह्य एवं आंतरिक व्यवधान को रोकने वाला है। वज्रपंजराभ महामंत्र नवकार को परकोटे का रक्षाकवच बनाया गया। पार्श्व भगवान की स्तवना जेनाचार्य कृत मंत्रों का जप किया गया। सभी श्रावक-श्राविकाओं ने लालचुनरी एवं सफेद परिधान में स्वस्तिक के आकर मैं मंत्रों की साधना की। इस कार्यक्रम में हासन, चिकमंगलोर, होलेनरसीपुर, मंडिया, आदि आस पास क्षेत्र से समाज की उपस्थिति रही। लगभग 14 उपवास 40 एकाशन भी हुआ। चिकमंगलुर के श्रावकों की अर्जी पर मर्जी करते हुए साध्वीश्री जी ने 2025 का मर्यादा महोत्सव चिकमंगलुर में मानने की स्वीकृति दी। कार्यक्रम का समापन मंगलपाठ से हुआ।

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