तेरापंथ भवन में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में ‘परिवार रहे सदाबहार’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुनिश्री दीपकुमार जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिस परिवार में तकरार नहीं होती उस परिवार का माहौल सदाबहार रहता है। घर के सदस्यों के बीच आपस में प्रेम भाव रहना चाहिए और वातावरण ऐसा सौहार्दपूर्ण होना चाहिए मानो शांति के फूलों की बगिया महक रही हो। छोटे-बड़ों, सबको एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। हरेक व्यक्ति के स्वभाव में विनम्रता और वाणी में मिठास झलकनी चाहिए। माता-पिता तथा बड़ों का आदर सम्मान करने से घर में सुख-शांति की वृद्धि होती है और वह घर स्वर्ग से सुंदर होता है। वर्ना आजकल तो इन सब गुणों के अभाव में पिता-पुत्र का क्लेश, भाई-भाई के झगड़े, सास-बहू में अनबन और पति-पत्नी में तनातनी तो आम बात है। हमें रामायण कथा से परिवार की सुख-शांति के लिए किए गए त्याग आदि के प्रसंग से सीख लेनी चाहिए।
मुनिश्री काव्यकुमार जी ने कहा कि सुखी परिवार वह है जहां सभी सदस्य एक-दूसरे को सहना जानते हों। अगर हम किसी को हमारी अपेक्षा अनुसार बदल नहीं पाते हैं तो कई अवसर पर हमें समझना चाहिए और उन्हें उसी रूप में स्वीकार करना चाहिए। अक्सर देखा गया है इस पद्धति से भी परिवार में खुशनुमा माहौल के लिए नतीजे सकारात्मक होते हैं। संतों ने कार्यशाला के दौरान ‘घर को स्वर्ग बनाओ तुम….’, मुनिश्री राकेश कुमार जी द्वारा रचित गीत का संगान भी किया। कार्यशाला में अच्छी संख्या में भाई-बहनों की उपस्थिति रही।
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