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परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन : चेम्बूर

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तेरापंथ भवन, चेम्बूर (मुंबई) में आयोजित परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला में उपस्थित श्रावक-श्राविका परिवार को सम्बोधित करते हुए साध्वीश्री मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि जहां समूह होता है वहाँ कुछ नियम भी होते हैं। अनुशासन, मर्यादा और व्यवस्थाए होती हैं। व्यक्ति परिवार की ईकाई है और परिवार समाज की ईकाई है। समूह में रहने वाला व्यक्ति सुरक्षित रहता है। चारों ओर से सुरक्षित रहना ही परिवार की परिभाषा है। समूह में रहने वाला व्यक्ति चिन्तन करे कि उसके कारण बाधा उपस्थित न हो। समूह में रहने वाला यदि मनचाहा करने लगे तो वह आनन्द और सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। पारिवारिक जीवन के लिए व्यक्तिशः यह चिन्तन अनिवार्य है कि उसके व्यवहार से कठिनाई उपस्थित न हो।
साध्वीश्री जी ने कार्यशाला में उपस्थित संभागियों को प्रेरणा प्रदान-करते कहा कि परिवार का सबसे बड़ा धर्म है-सहिष्णुता। सहन करना सफलता का महान सूत्र है। हम मानते हैं जिन्दगी आसान नहीं है, पर जीवन का महत्वपूर्ण सूत्र होना चाहिए अपने अंदाज से कुछ बातों को नजरंदाज करना सीखें बहुत सारी बातें होती हैं, बहुत सारी बातें देखते हैं, कानों से सुनते हैं, पर वक्त आने पर सब कहना उचित नहीं है। आवश्यक नहीं है। साध्वीश्री जी ने कहा कि जिस प्रकार एक माली बगीचे की सुन्दरता के लिए कटाई, छंटाई करता रहताहै, पौधे में खाद और पानी देता रहता है, बारिश के बिना फसल नष्ट हो जाती है, वैसे ही हर अभिभावक अपनी भावी पीढ़ी को, नन्ही पौध को उनके कर्तव्यों और दायित्वों के प्रति जागरूक करते रहें, संस्कारों से सिंचित करते रहें।
जिंदगी व्यवस्थित हो, अस्त व्यस्तता निषेधात्मकता पैदा करती है। साध्वीश्री जी ने कहा कि आज स्थितियां बदल रही है। आवश्यकता है परिवार का हर सदस्य बड़े बुजुर्गों के अनुभव साझा करें। उन‌का सम्मान करें वहीं छोटों का दायित्व है वे वात्सल्य भाव बनाए रखें। क्योंकि परिवार आग्रह से नहीं आदर से चलते हैं। दुसरों से बदलाव की अपेक्षा न करें खुद का बदलाव अपेक्षित है। सहयोग, स्नेह और आनंद देना सीखें।
साध्वीश्री अतुलयशा जी के मंगला चरण से कार्यक्रम आरंभ हुआ। साध्वीश्री डॉ. शौर्यप्रभा जी ने स्वस्थ परिवार के अनेक टिप्स बताए। साध्वीवंृद ने ‘परिवार उसी को कहते हैं, सौहार्द सुमन जहां खिलते हैं’ गीत का संगान किया। साध्वीश्री डॉ. चेतन्यप्रभा जी ने कुशल मंच संचालन किया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष रमेश धोका ने सम्पूर्ण परिषद की ओर से आभार प्रदर्शित किया।

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