अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार तेरापंथ महिला मंडल, गंगाशहर द्वारा आचार्य श्री तुलसी की मासिक तीज पर आशीर्वाद भवन में आयोजित प्रेक्षाध्यान कार्यशाला में साध्वीश्री चरितार्थ प्रभा जी ने प्रेक्षाध्यान के अर्थ, इतिहास एवं जीवन शैली के बारे में बताते हुए कहा कि जैन धर्म में ध्यान का अत्यधिक महत्व रहा है। तेरापंथ धर्मसंघ में आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ जी ने प्रेक्षाध्यान के द्वारा इस ध्यान पद्धति को पुनर्जीवित किया है। प्रेक्षाध्यान का अर्थ है गहराई से देखना, आत्मा के द्वारा आत्मा को देखना और अपने भाव तंत्र को सक्रिय करना। जिससे आपकी एकाग्रता में वृद्धि हो और ध्यान साधना द्वारा हम सिर्फ शरीर और मन को ही नहीं बल्कि अपनी आत्मा को भी जान सके, प्रेक्षाध्यान के द्वारा शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक विकास होता है। अध्यक्ष संजू लालानी ने बताया कि वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमणजी ने इस वर्ष को प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष घोषित किया है।
कार्यशाला में साध्वीश्री कृतार्थप्रभा जी ने दीर्घ श्वास प्रेक्षा के आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक लाभ बताते हुए प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाए एवं सुमधुर गीतिका का संगान किया। उपासिका श्रीमती प्रतिभा चोपड़ा ने प्रेक्षाध्यान को सभी को अपनाने की प्रेरणा दी। शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री हंसराज डागा ने प्रेक्षाध्यान की महत्ता पर अपने विचार व्यक्त किए। मंत्री मीनाक्षी आंचलिया ने समागत सभी का हार्दिक आभार व्यक्त किया तथा आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी।
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