शहर के अशोक नगर स्थित लोकाशाह जैन स्थानक में विराजित शासनश्री मुनिश्री सुरेश कुमार जी का मुंबई चार्तुमास सम्पन्न उग्रविहारी मुनिश्री कमल कुमार जी श्रमण-3, भीम चार्तुमास कर साध्वीश्री अर्हतप्रभा जी ठाणा-3 का उदयपुर में आध्यात्मिक मिलन हुआ। विनय वात्सल्य के इस दृश्य को देखकर श्रावक समाज भावुक हो उठा। तपोमूर्ति उग्रविहारी मुनिश्री कमल कुमार जी ने कहा कि यह परम सौभाग्य है कि कलयुग में सतयुग सा तेरापंथ धर्मसंध मिला है। जैनों की संस्कृति श्रम की संस्कृति है किन्तु आज श्रम छुट गया और स्वास्थ्य का तंत्र टूट गया। अपने जीवन के अमुल्य क्षणों को साधना में सार्थक करें। शासनश्री मुनिश्री सुरेश कुमार जी के जीवन से संयम की प्रेरणा प्राप्त करे तभी मानव जीवन में आने के उद्देश्य की सार्थकता होगी।
मुनिश्री सम्बोध कुमार जी ‘मेघांश’ ने अपने अंतः स्वर में कहा कि वही व्यक्ति इतिहास बना सकता है जो लीक पर नहीं चलता। जो कष्टों की परवाह नहीं करता वह इतिहास बनाता ही नहीं इतिहास को अमर बना देता है। जैन शासन एवं तेरापंथ की प्रभावना करने में अग्रिम संत है। श्रम, संभाल करने में प्रखर है।
मुनि सिद्धप्रज्ञ ने कहा कि हमारा धर्मसंघ अद्वितीय विशेषाताओं को अपने आप में समेटे हुआ है। संत मिलन के क्षण अनन्य प्रेरणाएं देता है। मुनि तपस्या, मौन और यात्रा का समवाय होते हैं। मुनिश्री नमि कुमार जी ने कहा कि संतो के विनय और वात्सल्य की परंपरा को अपने परिवार की प्रेरणा बनाए तो घर स्वर्ग बन उठेगा। मनुष्य जीवन की सार्थकता इसे साधना से उँचा उठाने में है।
तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमल नाहटा, तेयुप अध्यक्ष भुपेश खमेसरा, महिला मंडल मंत्री ज्योति कच्छारा ने भावपूर्ण विचारों से मुनिवृंद का अभिनंदन किया। मचं संचालन तेरापंथ सभा मंत्री अभिषेक पोखरना ने किया।
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