श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, बीरगंज (नेपाल) के तत्वावधान में मुनि श्री रमेश कुमार जी के पावन सान्निध्य में तेरापंथ भवन स्थित तुलसी सभागार में ’हमारा धर्मसंघ और संस्कार’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
तेरापंथ धर्मसंघ के संस्कारों का सृजन कैसे करें? इसे समझाते हुए मुनिश्री रमेश कुमार जी ने कहा कि व्यक्ति जन्म के समय कुछ संस्कार अपने साथ लेकर के आता है। अपने परिवार के परिवेश से बहुत से संस्कार प्राप्त करता है। शिक्षक और शिक्षा से बहुत से संस्कार मिलते हैं। संस्कारी बाल-युवा पीढ़ी आज की आवश्यकता है। जब तक धार्मिक एवं संघीय संस्कारों से बाल-युवा पीढ़ी को संस्कारित नहीं किया जाता तब तक हम संघीय ऋण से उऋण नहीं हो सकते। हमारे धार्मिक परिवारों का मुखिया स्वयं संस्कारी बनकर बच्चों में सहज संस्कार देते रहे। नमस्कार महामंत्र आदि जैन मंत्रों का सामूहिक जप, रात्रि में सामूहिक अर्हत् वंदना, शनिवार की निर्धारित समय पर सामायिक, देव, गुरु, धर्म की पहचान, तेरापंथ दर्शन और तेरापंथ की यशस्वी आचार्य परम्परा की जानकारी अपने बच्चों को दी जाये तो संस्कार सृजन की दिशा में अच्छा कार्य हो सकता है। आपने सेवा साधक योजना के बारे में भी समझाया।
मुनिश्री रत्न कुमार जी ने इस अवसर पर कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ महान है। यह धर्मसंघ महान क्यों इसकी जानकारी अभिभावकों को होनी चाहिए। एक गुरु के नेतृत्व की शक्ति से ही यह धर्मसंघ महान बना है। प्रत्येक तेरापंथी को संघ निष्ठ, श्रद्धा निष्ठ होना चाहिए।
इससे पूर्व मुनिश्री रमेश कुमार जी द्वारा कार्यशाला का नमस्कार महामंत्रोच्चारण से किया। तेरापंथ युवक परिषद ने सभा गीत से मंगलाचरण किया। तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष निर्मल जी सिंघी ने आगंतुक अतिथियों और सहभागी सभी भाई-बहनों का समाज की ओर से स्वागत किया। तेरापंथ महासभा के कार्यवाहक सदस्य निर्मल कुमार जी सिंघी ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन करने के पश्चात तेरापंथ महासभा के द्वारा समाज को शक्तिशाली, संस्कारी और सेवाभाव से जुड़ी अनेकानेक गतिविधियों की विस्तार से जानकारी दी। राजविराज के वरिष्ठ श्रावक थानमल जी भंसाली ने 15 दिन का प्रवास राजविराज करने की पूर जोर निवेदन किया।
तेरापंथ सभा के मंत्री सुरेश जी महनोत ने कुशलतापूर्वक संयोजन किया। इस कार्यशाला में तेरापंथ सभा राजविराज के अध्यक्ष प्रदीप जी तातेड, महासचिव मनीष जी दूगङ सहित छह श्रावक भी इस कार्यशाला में विशेष रूप से उपस्थित हुए।