साध्वी श्री अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में गुड़गाँव के शांतिनाथ जैन मंदिर के पावन परिसर में सभा के तत्वावधान में पैंसठिया छंद एवं यंत्र सिद्धि अनुष्ठान का भव्य आयोजन हुआ। सैकडों श्रावक एवं श्राविकाओं ने इस अनुष्ठान में भाग लेकर नई ऊर्जा का अनुभव किया। साध्वी श्री अणिमाश्रीजी ने प्राण ऊर्जा के साथ अनुष्ठान कराते हुए कहा कि आज व्यक्ति भौतिक संसाधनों को प्राप्त करने के लिए भाग दौड़ कर रहा है। भौतिकता की अंधियारी गलियों के भटकते हुए मानव को अध्यात्म का प्रकाश चाहिए। अपेक्षा है हम अपने जीवन में अध्यात्म का सूरज उगाएं। जीवन की महफिल में आनंद के दीप जलाएं।
साध्वी श्री जी ने कहा कि जीवन को आलोकित करने के लिए प्राण ऊर्जा की आवश्यकता है। प्राणऊर्जा संवर्धन का महत्वपूर्ण साधन है-जप अनुष्ठान। पैंसठिया छंद जैन परम्परा का सर्वमान्य छंद है। चौबीस तीर्थंकरों की विशेष स्तुति वाला यह छंद विघ्न-बाधा निवारक है। दुःख दारिर्द्य को दूर कर श्री वरदाई छंद है। दौर्भाग्य नाशक एवं सौभाग्यवर्धक है। आरोग्य प्रवासी संजीवनी वटी तुल्य है। जो व्यक्ति इस यंत्र को अपने आप पास रखता है एवं जो इस छंद का प्रतिदिन पठन करता है उसको कभी दुःख का मुंह देखना नहीं पड़ता। अनुष्ठान की साधना करने वाले साधक प्रतिदिन पैंसठिया छंद पढ़े एवं अपने जीवन को आनंदमय बनाए।
साध्वीश्री कणिकाश्री जी, साध्वीश्री डॉ. सुधाप्रभा जी, साध्वीश्री समत्वयशा जी, साध्वीश्री मैत्रीप्रभा जी ने मंगल संगान किया एवं अनुष्ठान में उत्तर साधक की भूमिका का निर्वहन किया।
सभाध्यक्ष श्री विनोद जी बापना ने कहा कि साध्वीश्री जी ने जो अनुष्ठान करवाया, सचमुच में विलक्षण अनुष्ठान था। गुड़गांव में तो ऐसा अनुष्ठान प्रथम बार हुआ है एवं इतनी विशाल उपस्थिति भी पहली बार हुई है। सम्पूर्ण जैन-समाज के भाई-बहनों ने भाग लेकर नई ऊर्जा की अनुभूति की।
सभा के परामर्शक श्री अशोक जी सुराणा एवं गुड़गांव महिला मंडल की पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान सभा की संगठन मंत्री श्रीमती रुबी जी बापना ने पूरे समाज की ओर से साध्वीश्री जी के प्रति कृतज्ञता अभिव्यक्त की। साध्वीश्री डॉ. सुधाप्रभा जी ने मंच का कुशल संचालन किया।