आचार्य महाश्रमण जी द्वारा घोषित प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष के अंतर्गत केंद्र द्वारा निर्देशित उत्तर दिल्ली महिला मंडल ने तेरापंथ भवन, रोहिणी में प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला शासनश्री मुनि विमल कुमार जी के सान्निध्य में संपन्न हुई।
कार्यक्रम की मंगल शुरुआत मुनिश्री जी द्वारा नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण से हुई। मुनिश्री ने कार्यशाला की सराहना करते हुए प्रेक्षाध्यान को एक कहानी के माध्यम से समझाया और कहा कि ध्यान के माध्यम से हर समस्या का समाधान संभव है। मंडल की बहनों ने मंगला चरण, प्रेरणा गीत और प्रेक्षा गीत की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। अध्यक्ष मधु सेठिया ने स्वागत भाषण में प्रेक्षाध्यान को आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ की अनुपम देन बताते हुए सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। आध्यात्म साधना केंद्र, महरौली से पधारे प्रेक्षा प्रशिक्षक श्री विमल गुनेचा ने प्रेक्षाध्यान का अर्थ, इतिहास और इसकी जीवनशैली पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने दीर्घ श्वास प्रेक्षा, प्रेक्षाचर्या के सूत्रों, और ध्यान के माध्यम से आत्म-परिवर्तन की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।
प्रशिक्षिका श्रीमती राज गुनेचा ने कायोत्सर्ग के महत्व को बताया और प्रयोग कराया, जिसे सभी ने आत्मलीनता के साथ किया। अभातेममं की चीफ ट्रस्टी श्रीमती पुष्पा बैंगानी ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रेक्षाध्यान आत्मज्ञान से जुड़ा है और ज्ञानदान को उत्तम दान बताते हुए धर्म की नींव मजबूत करने पर जोर दिया। रोहिणी सभा के अध्यक्ष श्री विजय जैन ने महिला मंडल के कार्यों की सराहना करते हुए ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन समय-समय पर करने की बात कही।
कार्यशाला का संचालन मंत्री इंद्रा सुराणा ने कुशलतापूर्वक किया व आभार ज्ञापन उपाध्यक्ष सरोज छाजेड़ ने किया। कार्यशाला में 102 बहनें और 30 भाइयों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। मंडल की बहनों के अथक प्रयासों से यह कार्यशाला अत्यंत सफल रही। समापन मंगल पाठ के श्रवण के साथ हुआ।