साध्वी श्री उदितयशाजी आदि ठाणा-4 राजाजीनगर पधारे। सभा उपाध्यक्ष श्री मदनलालजी बोराणा ने साध्वीश्री जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर समस्त श्रावक-श्राविका समाज का स्वागत किया एवं साध्वीश्री जी के त्रिदिवसीय प्रवास के दौरान सेवा दर्शन का लाभ लेने का निवेदन किया। मंच संचालन सभा मंत्री चंद्रेशजी मांडोत किया।
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा निर्देशित एवं तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आयोजित ‘सम्मान व्रत चेतना का’ एवं बारहव्रत दीक्षा कार्यशाला का आगाज साध्वी श्री शिक्षाप्रभाजी ने आचार्य श्री तुलसी द्वारा लिखित ‘श्रावक व्रत धारो’ गीतिका की प्रस्तुति से हुई।
साध्वी श्री उदितयशाजी ने कहा की श्रावक के जीवन मे सूर्याेदय तो रोज होता है, लेकिन अब हमको व्रतोदय का सूर्य उदय करना हे जिससे हम तीनों लोक के स्वामी अर्थात ‘अकिंचन’ जिनके पास कुछ नहीं होते हुए भी वह तीनों लोक का स्वामी बन जाता हे जिसके जीवन मे व्रतों का उदय हो जाये। व्रत अर्थात सिमा या त्याग के आवरण में अपने आपको घेरना अव्रत ही समस्या का जागरण है सब कुछ पाने की लालसा होती है। परिग्रह से बंधे हुए हे जिसके कारण व्रत धारण नहीं कर पाते हैं। व्रत धारण करना अपनी आत्मा की सुरक्षा का आवरण बनाना होता है, श्रावक व्रत की आराधना करने से हम अपना स्थान वैमानिक देव लोक में जमा सकते है।
तेयुप अध्यक्ष कमलेश जी चौरड़िया ने सभी का स्वागत करते हुए बारहव्रत दीक्षा स्वीकार करने का आह्वान किया एवं अभातेयुप द्वारा निर्देशित ‘सम्मान व्रत चेतना का’ यानी अब तक जिन्होंने भी बारह व्रत स्वीकार किया हुआ उन सभी का साध्वीश्री जी के सान्निध्य में जैन पट एवं सम्मान-पत्र से सम्मान किया गया। राजाजीनगर क्षेत्र में 21 बारहव्रती श्रावक-श्राविकों का सम्मान किया गया। मंच संचालन तेयुप मंत्री जयंतीलाल जी गांधी ने किया।
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