अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार तेरापंथ महिला मंडल, केजीएफ में ’प्रेक्षा शांति एवं शक्ति की ओर’ कार्यशाला का आयोजन स्थानीय तेरापंथ सभा भवन में किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ किया गया। महिला मंडल की बहनों ने प्रेक्षाध्यान गीत का संगान किया। श्रीमती प्रिया बांठिया ने प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का शुभारंभ करते हुये प्रेक्षाध्यान का अर्थ बताया व
प्रेक्षाध्यान का शुभारंभ एवं इतिहास की पूरी जानकारी दी। ध्यान साधना के उच्चतम शिखर को छूने वाले महान योगीराज आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा जैन योग के पुनरोद्धारक ने लगभग तेरह वर्ष तक इस ध्यान साधना में स्वयं कैसे खरे उतरे आदि की विस्तृत जानकारी दी गयी।
सर्वप्रथम श्वास कैसे लेना चाहिए इसकी पूरी विधि, लाभ आदि आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बताया गया। दीर्ध श्वास, समताल श्वास, महाप्राण ध्वनि की प्रक्रिया को समझाया गया की कैसे इनके प्रयोग से शरीर और मन को संतुलित किया जा सकता हैं। चित्त की निर्मलता और एकाग्रता के लिए सबसे सरल प्रयोग दीर्ध श्वास प्रेक्षा हैं। सही श्वास लेने पर ही ध्यान में प्रवेश कर सकते हैं। 13 चौतन्य केन्द्र के बारे में बताया गया।
दूसरे चरण में कायोत्सर्ग क्या है कैसे किया जाता है। शरीर के अवयवों को देखना और शिथिलीकरण का प्रयोग कैसे करना इसकी पूरी जानकारी दी गयी। कैसे तनावों से मुक्त हो सकते हैं। आज के इस भाग दौड़ की जिन्दगी में कायोत्सर्ग करना कितना लाभदायक सिद्ध होता हैं।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा कराया गया कायोत्सर्ग को ओडियो के माध्यम से सभी बहनों से करवाया तथा अपना अनुभव भी बताया। कार्यशाला का संचालन मंत्री चेतना बांठिया ने किया। दिक्षिता बांठिया ने आभार व्यक्त किया। बहनों की अच्छी उपस्थिति रही।
