अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार तेरापंथ महिला मंडल पचपदरा द्वारा साध्वी श्री रतिप्रभाजी ठाणा-4 के सान्निध्य में प्रेक्षाध्यान की कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वीश्री जी ने नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण से किया। उसके पश्चात बहनों के द्वारा प्रेरणा गीत का संगान किया गया। पचपदरा महिला मंडल की बहनों द्वारा सामूहिक प्रेक्षाध्यान गीत का संगान किया गया। महिला मंडल अध्यक्षा भाग्यवंतीजी चोपड़ा ने स्वागत वक्तव्य से सभी का स्वागत किया। साध्वी श्री रतिप्रभाजी जी ने प्रेक्षाध्यान का अर्थ व उसका इतिहास और जीवन शैली के बारे में बताया कि प्रेक्षाध्यान आचार्य श्रीमहाप्रज्ञ जी द्वारा तेरापंथ धर्मसंघ को दिया गया बहुत बड़ा अवदान है। ध्यान का बाधक तत्व है अज्ञान, क्रोध, प्रमाद, मोह ध्यान जागरूकता के साथ करना चाहिए ध्यान की अनेक विधियां हैं जिसमें से एक है प्रेक्षाध्यान ध्यान के द्वारा अनेक प्रकार की चिकित्सा कर सकते हैं आज भी अनेक प्रकार के श्रावक-श्राविका है जो ध्यान के द्वारा उनके रोग ठीक हुए हैं। ध्यान के विविध प्रकार के रोगों को ठीक कर सकते हैं मन में आस्था होने पर कैंसर जैसे रोग भी ठीक हो सकते हैं। साध्वी श्री मनोज्ञयशा जी ने बताया प्रेक्षाध्यान का अर्थ गहराई से देखना। कोई भी कार्य करना और उसमें लीन हो जाते हैं। भगवान महावीर ने भी अंतर ध्यान की यात्रा की।
साध्वीश्री कला प्रभाजी ने कायोत्सर्ग के आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक लाभ बताते हुए कहा कि कायोत्सर्ग में शरीर के प्रत्येक अवयव पर ध्यान केंद्रित किया जाता है कायोत्सर्ग के द्वारा शरीर के भीतर सूक्ष्म से सूक्ष्म बात का भी ज्ञान हो जाता है कायोत्सर्ग के द्वारा शरीर में ऊर्जा का संचार होता है कायोत्सर्ग के द्वारा अनेक समस्याओं का समाधान किया जा सकता है, शरीर रिलैक्स होता है जिसे शांति का अनुभव होता है। साध्वी श्री पावनयशा जी ने इस विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया।
इस कार्यक्रम में महिला मंडल परामर्शक सोहनी देवी ढेलड़िया, उपाध्यक्ष मांगी देवी ढेलड़िया, सहमंत्री पिंकी ढेलड़िया, कोषाध्यक्ष मंजू देवी छाजेड़, कन्या मंडल प्रभारी पूनम संकलेचा, पूर्व अध्यक्ष सहित लगभग 35 बहिनें इस कार्यक्रम में उपस्थित हुई। कार्यक्रम का कुशल संचालन मंत्री ललिता चोपड़ा ने किया और आभार ज्ञापन सह मंत्री पिंकी ढेलड़िया ने किया।
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