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‘प्रेक्षा प्रवाह: शांति एवं शक्ति की ओर’ कार्यशाला का आयोजन : पाली

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युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी ने 30 सितंबर, 2024 से प्रेक्षाध्यान के 50 वर्ष पूरे होने पर ’प्रेक्षाध्यान कल्याणक वर्ष’ के रूप में बनाने का दिशा निर्देश दिया है। आचार्य महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रणीत इस पद्धति को आचार्य महाश्रमण जी के नेतृत्व में विश्व भर में मान्यता मिली है। इसी उपलक्ष्य में तेरापंथ महिला मंडल, पाली द्वारा प्रेक्षा प्रभाव: शांति एवं शक्ति की ओर कार्यशाला का आयोजन मुनि श्री सुमतिकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में आयोजित किया गया। खुशबु बोरड़ के द्वारा नमस्कार महामंत्र एवं अर्हम की ध्वनि का प्रयोग करवाया गया। बहनों द्वारा प्रेक्षा गीत का संगान किया गया। मुनि श्री देवार्यकुमार जी ने बताया प्रेक्षाध्यान आचार्य श्री तुलसी के एवं मुनि श्री नथमल जी के विशेष अनुसंधान की देन है।
मुनि श्री देवार्यकुमार जी ने कहा कि हमारे मस्तिष्क में हर समय बहुत से विचार आते हैं, मन नई-नई कल्पना करता रहता है। विचारों को रोकने के लिए हमें कायोत्सर्ग, अनुप्रेक्षा दीर्घ स्वास प्रेक्षा एवं मुस्कुराते रहना चाहिए। मुनि श्री देवार्य कुमार जी द्वारा अनुप्रेक्षा, समताल श्वास प्रेक्षा का प्रयोग करवाया गया। मुनिश्री ने कहा कि सभी ध्यान करने वाले नए व्यक्तियों की एक शिकायत रहती हैं ध्यान करने के समय जब आँखें बंद करते है तो हमारा मन दूर-दूर के विचारों में घुमता हैं इसके समाधान में मुनिश्री ने सबको प्रतिदिन 15 मिनिट ध्यान करने की प्रेरणा दी और अपने श्वास को देखें। देखने का प्रयास करने की विशेष प्रेरणा दी। बहनों को प्रतिदिन 30 मिनट ध्यान हेतु संकल्पित होने के लिए कहा गया। सकारत्मक सोच को बढ़ावा देवे। अंत में खुशबू बोरड़ ने मंगल भावना करवाई। कार्यशाला में काफी संख्या में महिला मंडल की बहनों एवं भाईयों की उपस्थित रही।

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