अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान ’प्रेक्षा कल्याण वर्ष’ में प्रथम प्रेक्षाध्यान कार्यशाल का आयोजन तेममं, इचलकरंजी तेरापंथ ने शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी आदि ठाणा-5 के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में किया।
शासनश्री साध्वी कंचनप्रभा जी ने उपसंपदा का संकल्प करवाया। अपने मंगल उद्बोधन में साध्वीश्रीजी ने प्रेक्षाध्यान के प्रणेता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी और गुरुदेवश्री तुलसी के प्रति अनंत कृतज्ञता ज्ञापित की। और किस तरह प्रेक्षाध्यान हमारे जीवन में उपयोगी हो सकता है। यह जानकारी श्रावक समाज को प्रदान करवाई।
कार्यक्रम की शुरुआत महिला मंडल द्वारा प्रेक्षा गीत से मंगलाचरण हुआ। साध्वीश्री चेलनाश्री जी ने उपसंपदा की विस्तृत जानकारी प्रदान की और इसका महत्व उद्घाटित किया। साध्वी श्री निर्भयप्रभा जी ने नवकार महामंत्र से दीर्घ श्वास प्रेक्षा का प्रयोग करवाया और बताया कि कैसे इसे ध्यान के अभ्यास से कषाय कम हो सकता है। साध्वी श्री उदितप्रभा जी ने कायोत्सर्ग का आध्यात्मिक विश्लेषण बताया और 5 मिनिट का प्रयोग प्रेक्टिकल करवाया। शासनश्री साध्वी मंजूरेखा जी ने प्रेक्षाध्यान का मतलब समझाते हुए यह बताया कि कैसे अंर्तयात्रा से ध्यान तक पहुंचा जाता है, हमारा नाडी तंत्र और ग्रंथि तंत्र तब तक मजबूत नहीं होगा जब तक दोनों ग्रंथियों में संतुलन नहीं होता। कार्यशाला का आभार ज्ञापन अध्यक्ष श्रीमती शिल्पा जी बाफना ने किया। कार्यशाला में लगभग 60 श्रावक-श्राविकाओं ने लाभ लिया।