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सम्मान व्रत चेतना का कार्यक्रम का आयोजन : गुवाहाटी

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मुनि श्री प्रशांतकुमार जी, मुनि श्री कुमुदकुमार जी के सान्निध्य में, अभातेयुप के निर्देशन में तेरापंथ युवक परिषद, गुवाहाटी द्वारा सम्मान व्रत चेतना का कार्यक्रम आयोजित हुआ। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रशांतकुमार जी ने कहा कि व्यक्ति का मन चालक होता है। प्रकृति का नियम है ‘जो बोओगे वो काटोगे’। विज्ञान का नियम है ‘जैसी क्रिया होगी वैसी प्रतिक्रिया होगी’। धर्म का सिद्धांत है – जैसी करनी वैसी भरनी। व्यक्ति चाहता है पुण्य का फल मिल जाए। व्यक्ति पुण्य का फल चाहता है लेकिन कार्य वह करता है जिससे पाप बढ़ता है। पुण्य बढ़े वह कार्य नहीं करता है। पापकारी प्रवृत्ति करके सुख, शांति, आनन्द कैसे मिल सकता है। हमें धर्म के मूल तथ्य को समझना है। जब तक धर्म के मर्म को नहीं जानते-मानते हैं तब तक वास्तविक धर्म का स्वरूप जीवन में आत्मसात् नहीं होगा। मन का स्वभाव है नीचे की ओर जाना है। वैसे ही व्यक्ति को धर्म पसंद नहीं है क्योंकि मन भौतिकता की ओर अधिक आकर्षित रहता है। अध्यात्म के लिए संकल्प-प्रयास करना पड़ता है। बारह-व्रत नियम बहुत सारे पाप से बचाते हैं। समुद्र जितना पाप व्रत नियम से बहुत सीमित होकर रह जाता है। बारह व्रत धारण करने से पाप की सीमा हो जाती है। जब तक अव्रत रहता है तब तक पाप लगता रहता है। जीवन में धर्म की भावना सदैव रहनी चाहिए। व्रत-प्रत्याख्यान के लिए गुवाहाटी तेरापंथ युवक परिषद साधुवाद के पात्र है। श्रावक समाज के बारहव्रती बनने में समय का नियोजन किया है।
मुनि श्री कुमुदकुमारजी ने कहा कि जीवन में धर्म का बहुत महत्व होता है। धर्म से कर्म क्षीण होता है। आसक्ति की चेतना जागृत होती है। व्रत श्रावक जीवन का आधार है। उससे ही श्रावक जीवन का प्रारम्भ होता है। जिसकी मोह चेतना जागृत होती है उसे त्याग-प्रत्याख्यान, धर्म-अध्यात्म में रुचि नहीं होती है। धर्म हमें पापकर्म से बचाता है। श्रावक के बारहव्रत एवं जैन जीवन शैली के नौ आयाम व्यक्ति के सुखी जीवन के बहुत बड़े सूत्र है। श्रावक जीवन होना अपने आप में गौरव है। वर्तमान समय का उपयोग धर्म चर्चा में किया जाता है तो अनावश्यक पाप से बच जाते हैं। भगवान महावीर ने चार तीर्थ की स्थापना की साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका। जिन्होंने श्रावक के व्रतों को ग्रहण किया वे ही श्रावक कहलाए अन्यथा सिर्फ अनुयायी कहलाए।
कार्यक्रम संयोजक श्री रवि बुच्चा ने जानकारी देते हुए बताया कि पूरे भारतवर्ष में मुनिश्रीजी की प्रेरणा एवं तेरापंथ युवक परिषद के प्रयास से गुवाहाटी ने पांचवां स्थान प्राप्त किया है। तेयुप अध्यक्ष श्री सतीश भादानी ने विषय प्रस्तुति दी। आभार श्री राहुल नाहटा ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन तेयुप मंत्री श्री पंकज सेठिया ने किया।

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