मुनि श्री प्रशांतकुमार जी, मुनि श्री कुमुदकुमार जी के पावन सान्निध्य एवं छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री रमेन जी डेका के मुख्य आतिथ्य में ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अध्यात्म का महत्त्व’ कार्यशाला आयोजित हुई। समारोह को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रशांतकुमार जी ने कहा कि जैन धर्म में भक्तामर, कल्याण मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। ये चमत्कारी-कल्याणकारी स्रोत है। तीर्थंकर परमात्मा जगत का उद्धार करने वाले हैं। वे धर्म प्रवर्त्तक थे। क्षमा का महान सूत्र उन्होंने दिया। उन्होंने स्व-पर कल्याण का पथ बतलाया। आज पूरे विश्व में सबसे बड़ी आवश्यकता है-अध्यात्म की। परिवार, समाज में समस्या बढ़ती जा रही है। हिंसा हो रही है। युद्ध एवं अपराध बढ़ रहे हैं। अध्यात्म के बिना भाईचारा, मैत्री भाव रह नहीं सकता। मजहब, पंथ, सम्प्रदाय विकसित हो रहे हैं, लेकिन अध्यात्म को अधिक विकसित करने की अपेक्षा है। भगवान महावीर का महत्वपूर्ण मैत्री संदेश पूरा विश्व अपना ले तो बहुत सारी समस्याएँ अपने आप दूर हो जाएँगी। मानवीयता की भावना हमें विकसित करनी चाहिए। हम सभी दूसरों के जीने के अधिकार को समझें, सबके विकास में सहयोगी बनें। धर्म जोड़ने वाला है। आचार्य तुलसी, आचार्य श्री महाप्रज्ञ के पश्चात आचार्य श्री महाश्रमणजी अहिंसा, अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान के माध्यम से पूरे विश्व को संदेश दे रहे हैं। धर्म के बिना जीवन का, समाज का सही मायने में विकास नहीं होता है। समाज, देश में जितना अध्यात्म का भाव बढ़ता जाएगा उतना ही स्वस्थ समाज का निर्माण होगा। छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल श्री रमेन जी डेका ने कहा कि वर्तमान समय में अध्यात्म उतना ही जरूरी है, जितना हमारे लिए भोजन, पानी और श्वांस। परिस्थिति अनुकूल रहे या प्रतिकूल हमें अपनी श्रद्धा और विश्वास के प्रति तटस्थ रहना है। सबकी उन्नति हो, सबका विकास हो, सब सुखी रहे, बुजुर्गों का सम्मान रहे, लेकिन अध्यात्म की लक्ष्मण रेखा का ज्ञान हर वक्त रहे। मिल-बांटकर खाना हमारी संस्कृति है, छीनकर खाना विकृति है। हमें यह सोचना है कि हम समाज को क्या दे सकते हैं। भगवान महावीर का संदेश अहिंसा परमधर्म का पालन अवश्य करना चाहिए। हम सबको पर्यावरण की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। हमारी इच्छा पर हमें नियंत्रण चाहिए।
कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ। सभाध्यक्ष श्री बाबूलाल सुराणा ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। महामहिम राज्यपाल जी का परिचय सभा मंत्री श्री राजकुमार बैद ने दिया। आभार कोषाध्यक्ष श्री छत्तरसिंह भादानी ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन सभा के वरिष्ठ सहमंत्री श्री राकेश जैन ने किया। सभी संघीय संस्थाओं द्वारा राज्यपाल का स्वागत-अभिनंदन किया गया।
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