महातपस्वी, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की आज्ञा से व मुनिश्री सुव्रतकुमारजी ने 85 वर्षीय श्रीमती मनोहरदेवी धर्मपत्नी स्व. श्री मिश्रीलालजी नाहर महेंद्रगढ़ (मेवाड़ -राज.) निवासी, अहमदाबाद प्रवासी के संलेखना के ग्यारहवें दिन 13 नवंबर, 2024 सुबह 9.51 बजे धर्मसंघ के बीच तेरापंथ भवन, शाहीबाग पर परिवारजनों, गणमान्यजनों एवं श्रावक समाज की गरिमामयी उपस्थिति में तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान करवाया एवं संथारा साधना चले तब तक धारणानुसार प्रत्याख्यान करने की प्रेरणा दी। मुनिश्री डॉ. मदनकुमारजी ने उपस्थित जनसमूह को संथारा का महत्व बताते हुए कहा कि संथारा मृत्यु महोत्सव है, समाधि मरण का प्रयोग है। संथारा साधिका श्रीमती मनोहरदेवी को अतीत की आलोचना के साथ सभी से क्षमायाचना करवाई।
इस अवसर पर मुनिश्री सुव्रतकुमारजी के साथ मुनिश्री डॉ. मदनकुमारजी व सहवृति चारित्रात्माओं की विशेष सन्निधि प्राप्त रही। इस अवसर पर नाहर परिवार की बहिनों द्वारा गीतिका व परिवारजनों के साथ सभा अध्यक्ष अर्जुनलाल बाफना, तेममं सुशीला खंतग, प्रवास व्यवस्था समिति मंत्री अरुण बैद, पश्चिम सभा अध्यक्ष सुरेश दक, अणुव्रत समिति अध्यक्ष प्रकाश धींग, सेवा समाज ट्रस्टी सज्जनलाल सिंघवी, अर्जुन ड़ागी आदि ने संथारा साधिका बहिन मनोहरदेवी के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना करते हुए निर्जरा धर्म की साधना-आराधना करते हुए समाधि शांति का जीवन जीकर अपने जीवन को सफल बनाने की प्रेरणा प्रदान की। तत्पश्चात संथारा साधिका बहिन मनोहरदेवी नाहर परिवार के साथ शासनश्री साध्वीश्री सरस्वती आदि ठाणा के दर्शन कर आशीर्वचन प्राप्त किया।