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ध्यान योग से आध्यामिकता : नोखा

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शासनश्री साध्वी राजीमती जी के सान्निध्य में प्रेक्षा कल्याण वर्ष के अवसर पर प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षक श्री रणजीत जी दुगड़ ने ध्यान योग साधना कायोत्सर्ग पर विवेचन करते हुए कहा मानव जीवन एक अनमोल हीरा है, आप समय निकाले और ध्यान साधना को मुख्य अंग बनाए, शक्ति वह सुख मय जीवन ध्यान से ही संभव हो सकता है।
साध्वी श्री राजीमतीजी के सात सूत्र रोम-रोम में मैत्री की सुगंध निकले लंबा गहरा श्वास आभामंडल पवित्र रहे प्रत्येक क्रिया के साथ ध्यान का प्रयोग चित्त को आदेश दो शांत हो शांत हो विरोधी के प्रति मैत्री भाव बनाएं अनुप्रेक्षा करें विचारों की उनोदरी अर्थात निर्विचार करना सीखे तन की मन की चंचलता रोके ख्याति प्राप्त देश-विदेश में ध्यान साधना शिविर के प्रयोगात्मक अनुभव सुना कर सरोबार कर दिया। शासन गौरव योगसाधिका साध्वी राजीमती ने कहा कि रणजीत दुगड़ विद्यार्थी की तरह प्रेक्षाध्यान सिखता है, ध्यान साधना में और आगे बढ़ें, अंतिम लक्ष्य मोक्ष है वह ध्यान के बिना संभव नहीं है ध्यान की गहराई में पहुंचकर वितरागता प्राप्त की जा सकती है रात्रि में चिंतन करें कि आज मैंने क्या किया, क्या खाया, क्या पाया, बस जीवन का रूपांतरण होता चला जाएगा, अध्यात्म व ध्यान में रुचि बढ़ती जाएगी। प्रभारी इंदर चंद बैद कवि ने बताया आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में सूरत में अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षाध्यान के अष्ट दिवसीय शिविर में रसिया, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, यूक्रेन, जापान, वियतनाम, इंडिया के 44 लोगों को विशेष ध्यान प्रशिक्षक श्री रणजीत दुगड आदि ने दिया जो विरल उपलब्धि रही। सभा उपाध्यक्ष लाभ चंद छाजेड़, पूर्व अध्यक्ष इंदरचंद बैद ‘कवि’, मंत्री मनोज घीया, महिला मंडल मंत्री प्रीति मराठी आदि श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही।

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