शहर के महाप्रज्ञ विहार में शासनश्री मुनि सुरेश कुमार के सान्निध्य में त्रिदिवसीय जीवन विज्ञान दिवस के तहत दूसरे दिन तेरापंथ सभा व अणुव्रत समिति के संयुक्त तत्वावधान में ‘द साइंस ऑफ लिविंग स्किल्स डवलेपमेंट’ कार्यक्रम आयोजित हुआ।
टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम को सम्बोधित करते हुए मुनि सम्बोध कुमार मेधांश जी ने कहा कि साँसों का आना और जाना ही जीवन नहीं है। हम एक-एक साँस की कीमत समझे तो हमारा इस धरती पर आना सार्थक है। जीवन विज्ञान जीने की कला सीखाने वाला विज्ञान है। साइंस शरीर को जानना और देखना सीखाता है। साइंस ऑफ लिविंग जीवन के उतार-चढाओ के बीच संतुलित रहना सीखाता है। मुनि ने श्वास लेने की कला का प्रयोग करवाते हुए कहा कि जो बेहतर श्वास लेते है वे बेहतरीन जीवन जीते हैं। शिक्षक भावी पीढ़ी के सृजनहार है। शिक्षक की एक गलती भावी पीढ़ी के भविष्य को डेमेज कर देती है। अरत की शिक्षा पैसा, पैशन, पावर की उपलब्धि के उद्देश्य के इर्द-गिर्द घूम रही है। मुनिश्री ने ब्रेन बेलेंसिंग के साथ संकल्प का प्रयोग करवाया।
मुनि सिद्धप्रज्ञ जी ने प्रार्थना सभा में जीवन विज्ञान के प्रयोग करवाते हुए कहा कि जीवन एक समस्या है अगर उसे नहीं समझा, समझ लिया तो समाधान। जीवन विज्ञान स्वस्थ समाज का निमार्ण करता है। व्यक्ति स्वस्थ होगा तो राष्ट्र स्वस्थ बनेगा। उन्होंने स्मृति के विकास के प्रयोग करवाए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विद्वान समिति अध्यक्ष डॉ. महिप भटनागर ने कहा कि शिक्षक मिट्टी का ढेला रूप विद्यार्थी के जीवन में शेप देने के साथ रंग भी भरते है। शिक्षकों पर भविष्य की पीढ़ी के निर्माण की जिम्मेदारी है, उस जिम्मेदारी का वहन तभी संभव है जब शिक्षक मानसिक स्तर पर समर्ध हो स्वागत तेरापंथ सभाध्यक्ष कमल नाहटा, आभार अणुव्रत समिति मंत्री कुंदन भटेवरा व मंच संचालन उपाध्यक्ष कमल पोरवाल ने किया। इस अवसर पर समाज सेवी दिलीप गिलुंडिया, विद्या भवन की सचिव गोपाल बंब, श्रीमती प्रणीता तलेसरा, मंजू इंटोडिया, डॉ. सुषमा इंटोदिया भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में तुलसी निकेतन, विद्या भवन, सी.पी.एस, मिकाडो, उद्भव स्कुल के 100 प्राध्यापक व शिक्षक उपस्थित थे।
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