Jain Terapanth News Official Website

पश्चिम बंगाल आंचलिक सम्मेलन का आयोजन : साउथ हावड़ा

Picture of Jain Terapanth News

Jain Terapanth News

मुनिश्री जिनेशकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में पश्चिम बंगाल आंचलिक श्रावक सम्मेलन का सफल आयोजन प्रेक्षा विहार में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के द्वारा आयोजित किया गया। सम्मेलन में महासभा के पंचमंडल सदस्य सुरेश जी गोयल, ट्रस्टी कमल किशोर जी ललवानी, महामंत्री विनोद जी बैद पश्चिम बंगाल आंचलिक प्रभारी शिखरचंद जी लुणावत, अल्पसंख्यक विभाग के संयोजक प्रकाश जी मालू, कार्यकारिणी सदस्य लक्ष्मीपत जी बाफणा, कमल किशोर कोचर, श्रीमती सुशीला पुगलिया आदि गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। सम्मेलन में ‘हम और हमारा धर्मसंघ’ विषम पर उद्‌बोधन प्रदान करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि जिन शासन के चार अंग हैं-साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका। श्रावक का अर्थ है जो 12 व्रतों का पालन करता है। जो श्रद्धावान है, विवेक संपन्न और क्रियाशील व कर्तव्य शीला है। श्रावक के पांच कर्तव्य है श्रद्वा, वन्दना, विसर्जन पर्युषण साधना साधार्मिक वात्सल्या देव, गुरु, धर्म के प्रति आस्था रखनी चाहिए। शास्ता के प्रति आस्था रखने से मुक्ति का रास्ता मिल जाता है। श्रद्वा परम दुर्लभ है। अपने लक्ष्य के प्रति आस्था रखनी चाहिए। विसर्जन का भाव रखना चाहिए केवल घन का ही नहीं समय का, कषाय का भी विसर्जन करना चाहिए। सब आपस में प्रेम और सौहार्द से रहे। संघ की उतरती बात नहीं करनी चाहिए संघ के प्रति अहोभाव रखना चाहिए संघ की प्रगति में सबका योगदान होना चाहिए। संघ आश्वास है, विश्वास है संघ शीत घर के समान है। संघ ही शरण में रहना चाहिए। संघ संघपति के प्रति आस्था रखनी चाहिए। व्यसन मुक्त जीवन जीएं। श्रावक का नैतिक कर्तव्य है कि वह साधार्मिक वात्सल्य का विकास करें। धर्म में स्थित रहे। श्रावक का जीवन आम आदमी से विलक्षण होना चाहिए। बाल मुनि श्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। इस अवसर पर पंचमडल सदस्य सुरेश जी गोयल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ आज्ञा तंत्र से चलता है। यहाँ आचार्य की आज्ञा ही सर्वाेपरि है। इसलिए गुरु के चिंतन पर चिंतन नहीं करना चाहिए।
महामंत्री विनोद जी बैद ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा सौभाग्य है कि हम धर्मसंघ के अभिन्न अंग हैं। जब तक हम संघ समाज से जुड़े हुए हैं तब तक ही हमारा अस्तित्व है। श्रावक संदेशिका में लिखी बातों का पालन सभी को करना चाहिए। इस अवसर पर पश्चिम बंगाल आंचलिक प्रभारी शिखरचंद जी लुणावत ने अपने विचार व्यक्त किए। स्वागत भाषण साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत जी बाफणा ने दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। सुरेश जी गोयल ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। आभार ज्ञापन सभा मंत्री बसंत पटावरी ने किया। सम्मेलन के प्रथम सत्र का संचालन मुनिश्री परमानन्द जी ने किया।
सम्मेलन का द्वितीय सत्र आयोजित हुआ। जिसमें मुनि श्री जिनेशकुमार जी, मुनिश्री परमानंद जी का प्रेरणादायी उद्‌बोधन हुआ। महामंत्री विनोद जी बैद ने श्रावकों की जिज्ञासाओं के समाधान देते हुए महासभा की गतिविधियों की जानकारी प्रदान की। इस सत्र में प्रकाश जी मालू ने भी विचार रखे। संचालन मंत्री बंसत पटावरी ने किया। वृहत्तर कोलकता, खड़गपुर, सैंथिया कोलाघाट, बैलडागां आदि श्रेत्रों के श्रावक उपस्थित थे।

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स