साध्वी श्री प्रज्ञावती जी के सान्निध्य में जैन हस्तकला प्रदर्शनी व प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में साध्वीश्री जी ने अपने मंगल उद्बोधन में तेरापंथ धर्मसंघ में कला का विकास कब व कैसे प्रारंभ हुआ, इस पर विस्तार से बताते हुए स्वर्गीय साध्वी श्री शासनश्री रामकुमारी जी के जीवन से जुड़े हुए कला संस्मरणों को उल्लेख किया। साध्वी श्री मयंकयशा जी ने कला की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए जीवन जीने की कला पर चर्चा की। प्रतियोगिता का आयोजन दो वर्गों में किया गया। जूनियर वर्ग जिसके लिए नमस्कार महामंत्र व स्वास्तिक विषय रहा तथा सीनियर वर्ग 15 वर्ष से ऊपर आयु वालों के लिए चार गति, श्रवण महावीर व आचार्य तुलसी आदि विषय का निर्धारण किया गया।
इस प्रदर्शनी में मुख्य आकर्षण साध्वीश्री रामकुमार जी द्वारा निर्मित सूक्ष्माक्षर व कलम से लिख पन्ने, श्रीफल से बने प्याला केतली आदि अनेक छोटे-बड़े पत्र और उपकरण रहे। श्रीगंगानगर में इस तरह का कार्यक्रम पहली बार हुआ और इसको देखने के लिए लोगों का ताता शाम तक लग रहा। प्रदर्शनी का समय दो बार बढ़ाया गया।
इस अवसर पर श्री पंकज जी जैन द्वारा पूरे परिसर को सजाया गया। जैन संस्कार विधि से श्री विमल जी कोटेचा व रोहित जैन द्वारा मंत्र उच्चारण करते हुए इसका उद्घाटन श्री अजय बोथरा जी द्वारा किया गया। प्रदर्शनी को अद्भुत रूप देने में श्री संदीप जी आंचलिया, श्री सुरेंद्र जी जैन व रिया जैन आदि का विशेष योगदान रहा।
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