अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार तेरापंथ महिला मंडल, भिवानी द्वारा मुनि श्री देवेन्द्र कुमार जी, तपोमूर्ति मुनि श्री पृथ्वीराज जी के पावन सान्निध्य में स्वस्थ परिवार स्वस्थ समाज योजना के अंतर्गत ‘चित्त समाधि कार्यशाला’ व प्रेक्षावाहिनी की मासिक कार्यशाला का संयुक्त आयोजन दिनांक 10.11.2024 को किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ मुनि श्री देवेन्द्र कुमार जी ने नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण से करवाया। महिला मंडल की बहनों ने सामूहिक प्रेरणा गीत व प्रेक्षाध्यान गीत प्रस्तुत किया।
मुनि श्री देवेन्द्र कुमार जी ने बताया कि चित्त समाधि का वास्तविक अर्थ है चित्त की गहरी स्थिरता, जहां मन के सभी विक्षेप समाप्त हो जाते हैं और एक आंतरिक शांति का अनुभव होता है। यह वह अवस्था है, जहां कोई भी बाहरी स्थिति या व्यक्ति आपके मानसिक शांति को प्रभावित नहीं कर पाता। जब चित्त समाधि की अवस्था प्राप्त होती है, तो व्यक्ति का मन किसी भी प्रकार के क्रोध, द्वेष, या वासना से मुक्त होता है और पूरी तरह से वर्तमान क्षण में स्थिर रहता है।
मुनिश्री ने महाप्राण ध्वनि के साथ श्वास प्रेक्षा का प्रयोग करवाया और बताया प्रतिदिन कुछ समय शान्ति से बैठकर ध्यान करें। सबसे आसान तरीका है ‘सांस पर ध्यान’ लगाना। जब हम अपनी साँसों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो मन शांत होता है और विचारों का प्रवाह नियंत्रित होता है। तपोमूर्ति मुनि श्री पृथ्वीराज जी ने कहा सहनशीलता का संबंध चित्त समाधि से बहुत गहरा है। जब हम सहनशील होते हैं, तो हम अपने भीतर के आवेशों और भावनाओं को नियंत्रित कर पाते हैं, जिससे मन की शांति बनी रहती है। परिवार के सभी सदस्य यदि सहनशील और एक-दूसरे की बात को समझकर, विनम्रता से स्वीकार करते हैं, तो यह न केवल उनके रिश्तों को मजबूत बनाता है बल्कि यह चित्त की शांति की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। मुनिश्री ने सभी भाई बहनों को कायोत्सर्ग का प्रयोग करवाया। कार्यशाला की लगभग दो घण्टे की अवधि रही। तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री डॉ संस्कृति जैन ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। प्रेक्षावाहिनी सहसंयोजिका सुमन जैन ने सबका स्वागत किया, महिला मंडल उपाध्यक्ष शिखा जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया। मंगलपाठ से चित्त समाधि कार्यशाला सानंद संपन्न हुई। सभी भाई-बहनों की उपस्थिति सराहनीय रही।
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चित्त समाधि कार्यशाला का आयोजन : भिवानी
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