मुनिश्री डॉ. आलोक कुमार जी एवं मुनि श्री हिमकुमार जी के सान्निध्य में एवं अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक श्री ज्योतिंद्र भाई जवेरी जी के मार्गदर्शन में दो दिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन तेरापंथ सभा द्वारा 9 और 10 नवम्बर को तेरापंथ भवन पुणे में किया गया।
शिविर का पहला दिन मुनि श्री आलोक कुमार जी ने नमस्कार महामंत्र के द्वारा मंगलाचरण करके सभी को उपसंपदा करवाई। उसके पश्चात स्नेहा जी नाहटा द्वारा योगाभ्यास कराया गया और उन्होंने योग के फायदे भी बताए। मुनिश्री हिमकुमार जी ने आचार्य श्री तुलसी द्वारा रचित प्रेक्षागीत का संगान किया और प्रेक्षा का अर्थ बताते हुए उनके महत्व को समझाया। आपने कहा कि प्रेक्षाध्यान द्वारा संकल्प शक्ति मजबूत होती है, संवेग पर नियंत्रण रहता है और मन शांत व स्वभाव शीतल रहता है।
मुनि श्री आलोक कुमार जी ने प्रेक्षाचार्य के 5 सूत्र-भाव क्रिया, प्रतिक्रिया विरति, मैत्री, मिताहार, मितभाषण पर विस्तार से प्रकाश डाला। अपने प्राण ऊर्जा, प्राण शक्ति और प्राणायाम के बारे में विस्तार से बताया। प्रेक्षाध्यान शिविर के मुख्य अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षक श्री ज्योतिंद्र भाई जवेरी जी ने दो दिवसीय कार्यशाला में प्रेक्षाध्यान के अर्थ को समझाते हुए अनेक प्रयोग कराए जैसे- कोयोत्सर्ग, अंतर-यात्रा, दीर्घ श्वास प्रेक्षा, ज्योति केंद्र प्रेक्षा, गमन योग, शरीर प्रेक्षा आदि।
आपने शिविर के दौरान जीवन जीने की कला, प्रतिदिन दिनचर्या, भोजन का प्रारूप, व्यायाम आदि के ऊपर सविस्तार से जानकारी दी और शिविरार्थियों द्वारा पुछे गए हर सवाल का कुशलता से जवाब देकर सबका मागदर्शन किया। इस दो दिवसीय शिविर में कुल 75 शिविरार्थियों ने भाग लिया और इस शिविर को सफल बनाया। समापन के समय सभा अध्यक्ष श्री महावीर जी कटारिया एवं अन्य संस्थाओं के पदाधिकारियों ने मुनिश्री जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की एवं भाई ज्योतिंद्रजी के प्रति आभार प्रकट किया और सभी के प्रति मंगलकामनाएं प्रेषित की। शिविर को सफल बनाने में तेरापंथ सभा के साथ समाज की सभी संस्थाएं-तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम, अणुव्रत समिति के सदस्यों का पूर्ण श्रम रहा। ज्योतिंद्रजी की धर्मपत्नी श्रीमती जयश्री जी का भी शिविर को सफल बनाने में पूर्ण सहयोग रहा।
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