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कवि सम्मेलन का आयोजन : राजसमंद

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राजसमंद भिक्षु बोधि स्थल राजनगर में साध्वी श्री लब्धीयशा जी, साध्वी श्री गौरवप्रभा जी, साध्वी श्री कौशलप्रभा जी के सान्निध्य में एवं भिक्षु बोधि स्थल अध्यक्ष हर्षलाल जी नवलखा की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। स्वागत उद्बोधन सभा अध्यक्ष हर्षलाल जी नवलखा ने दिया एवं प्रारंभ में उपाध्यक्ष अनिल जी बडोला, मंत्री सागरमल जी कावड़िया और सहमंत्री भूपेश धोका आदि ने सभी कवियों का पगड़ी पहनाई और साहित्य भेंट कर स्वागत किया। कवि सम्मेलन की शुरुआत कवियत्री नीतू बापना ने माँ शारदे सरस्वती वंदना से की। गौरव पालीवाल ने अपने छंद और कविताओं से खूब आनंदित किया। आसू कवि हेमेंद्र सिंह चौहान ने बचपन की याद ताजा करते हुए स्कूल समय को चित्रित करती कविता से सभी को गुदगुदाया। हास्य-व्यंग के कवि कानू पंडित नाथद्वारा ने अपनी हास्य रचनाओं से सबको खूब हंसाने के साथ ही ‘बरगद नीम अंबुवा की छांव जरूरी है इसलिए हिंदुस्तान में गांव जरूरी है’ जैसी संवेदनशील रचना से सभी को चिंतन को मजबूर कर दिया। वरिष्ठ कवि सूर्य प्रकाश दीक्षित ने मानवीय संवेदनाओं को रेखांकित करते हुए अगर भाई आपस में लड़ते रहे तो इज्जत का जनाजा निकल जायेगा और वृद्धा आश्रम समाज के चेहरे पर कलंक है-जैसी रचनाओं से सबको चिंतन को मजबूर कर दिया। सतीश आचार्य ने अपनी शिक्षा के भगवा करण विषयक रचना जब लोग दुनिया में नंगे डोल रहे थे तोते यहां के वेदमंत्र बोल रहे थे और यो मोबाइल को ढीबरो गजब कर ग्यो फोरा मोटा हंगला ने डेल कर ग्यो कविता सुनाकर श्रोताओं को खूब आनंदित किया। कवि सम्मेलन की सूत्रधार कवियत्री नीतू बाफना ने शृंगार से सराबोर रचनाओं के साथ ही कुचलो ना देखो इन्हें बड़ी अनमोल है ये मोल न लगाओ यही मांगती है बेटियां जैसी चिंतनशील रचना से अपनी छाप छोड़ी।
इस कार्यक्रम में ज्ञानमल मादरेचा, महावीर धोका, मुकेश चपलोत, चतुर कोठारी, सुधा कोठारी, चेष्टा धोका, नीना कावड़िया विकास मादरेचा, प्रमोद कावड़िया, मंजू बडोला, हिम्मत मेहता, ललित बाफना, लता मादरेचा, सीमा चपलोत, यशवंत चपलोत, पंकज मादरेचा, अंकित परमार सहित आसपास के क्षेत्र से कई गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे। अंत मे आभार संस्था के सहमंत्री भूपेश धोका ने ज्ञापित किया।

 

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