साध्वी श्री सुदर्शनाश्री जी के पावन सान्निध्य में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। नमस्कार महामंत्र के सामूहिक उच्चारण के पश्चात ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों के द्वारा मंगलाचरण किया गया। अंकिता सुराणा ने कार्यक्रम में आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। बच्चों ने ‘Don’t use me’ play’ की रोचक प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला क्षेत्रीय प्रभारी प्रतिभा जी दुगड, महासभा आंचलिक प्रभारी देवेंद्र जी बांठिया ने अपने विचार व्यक्त किए। साध्वीश्री लक्षितप्रभाजी ने भी ज्ञानशाला की उपयोगिता के बारे में बताया। ज्ञानार्थियों ने ज्ञानशाला की उपयोगिता बताते हुए एक बहुत ही रोचक प्रस्तुति दी।
साध्वीश्री सुदर्शनाश्री जी ने अपने मंगल पाथेय में कहा कि ज्ञानशाला एक ऐसा उपक्रम है जहां छोटे-छोटे नौनिहाल सद-संस्कारों का अर्जन करते हैं। ज्ञानशाला तक इन बच्चों को पहुंचाने का काम माता-पिता और घर के बड़े बुजुर्गों का है। इसलिए यह सभी की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। सदसंस्कार के बीजारोपण के लिए ज्ञानशाला एक उत्तम माध्यम है।
अंत में सभी बच्चों को पुरस्कार वितरित किए गए। तेरापंथी सभा के संगठन मंत्री ओम प्रकाश जी पुगलिया ने स्थानीय ज्ञानशाला की टीम की भी भूरी-भूरी प्रशंसा की और सभा के द्वारा उपवास, पौषध एवं प्रशिक्षिकाओं का सम्मान किया गया। ज्ञानशाला वार्षिकोत्सव समारोह के प्रायोजक हीरालाल-हंसराज जी गुलाब जी बांठिया परिवार का विशेष सहयोग रहा। अच्छी संख्या में सधार्मिक भाई-बहनों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन सतीश पुगलिया ने किया।