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‘मेरा भाई मेरी भुजा’ कार्यशाला का आयोजन : रायपुर

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मुनिश्री सुधाकर जी व मुनिश्री नरेशकुमार जी के सान्निध्य में दिनांक 10.11.2024 रविवार को श्री लाल गंगा पटवा भवन, टैगोर नगर के जय समवसरण में तेरापंथ युवक परिषद्, रायपुर ने एक विशेष अनोखी व अपने आप में अलबेली कार्यशाला ‘मेरा भाई मेरी भुजा’ भाई हो तो ऐसा हो का आयोजन किया। जिसमें विशेष अतिथि के रूप में शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव श्री आनंद जी पाटिल उपस्थित हुए।
मुनिश्री सुधाकर जी ने उपस्थित जनमेदिनी को संबोधित करते हुए कहा कि भाई ही भाई की भुजा होता है। भाई से बड़ा न कोई मित्र होता है न कोई शत्रु। भाई चाहे तो भाई के जीवन को स्वर्ग व नरक बना सकता है। मुनिश्री ने रामायण व महाभारत पात्रों से इस विषय पर और अधिक प्रभावशाली तथ्य प्रस्तुत करते हुए भाई-भाई के रिश्तों को परिभाषित किया। मुनिश्री ने आगे कहा कि रामायण में जहां सिंहासन के लिए समर्पण था जिसकी परिणति हुई भाईयों में आपसी प्रेम की प्रगाढ़ता के साथ कुल की यश कीर्ति अभिवृद्धि वहीं महाभारत में सिंहासन के लिए ममत्व था, जिसकी परिणति हुई महायुद्ध जो हुआ भाईयों के बीच।
मुनिश्री ने कुछ सूत्र प्रस्तुत किए जिनसे हम अपने रिश्तों को प्रगाढ़ बना सकते हैं जैसे जिद छोड़ो परिवार को जोड़ो, भाई से विपत्ति बांटों न की संपत्ति, भाई-भाई का रिश्ता दूध शक्कर जैसा होना चाहिए, स्वार्थ को छोड़ रिश्तों को जोड़ना चाहिए, झुकना पड़े तो झुको मगर परिवार को मत झुकने दो, तेरा मेरा छोड़ हमारा की भावना जागृत करें आदि।
कार्यशाला अंतर्गत समायोजित तेरापंथ महिला मंडल, रायपुर आयोजन अपनी जोड़ी ‘देवरानी जेठानी’ पर भी मुनिश्री सुधाकर जी ने प्रेरणादायक मार्गदर्शन दिए। विशेष अतिथि श्री आनंद पाटिल ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि आज स्वार्थवश व उचित मार्गदर्शन के साथ परवरिश नहीं मिलने के कारण भी भाई-भाई के रिश्तों में मधुरता की कमी हो रही। मुनिश्री नरेश कुमार जी ने सुमधुर गीतिका का संगान किया।
कार्यशाला में डॉ. राजा जैन विशेष थैरेपी द्वारा नाभी सेंटिंग पर प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला आयोजन में श्री रोशन अंकित जी अनेकांत जी जैन व श्री गणेश चंद जी धीरेन्द्र कुमार जी जैन का विशेष योगदान रहा। कार्यशाला में मंगलाचरण तेरापंथ महिला मंडल द्वारा किया। संचालन व आभार वीरेंद्र डागा के साथ स्वागत वक्तव्य पकंज बैद ने दिया। कार्यशाला में रायपुर के अलावा आसपास क्षेत्रों के जैन व अजैन श्रावक-श्राविकाओं के साथ ही चेन्नई से श्री अशोक परमार की उपस्थिति रही। कार्यशाला में रिषभ बोथरा, वीरेंद्र मरोठी, विकास बरलोटा, जयप्रकाश चोपड़ा, संजय सिंघी, अभय गोलछा, निकुंज साचला, वैभव बोथरा, संजय बोथरा ने विशेष सहयोग किया।

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