अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के निर्देशानुसार तेरापंथ युवक परिषद, चेन्नई के तत्वावधान में साध्वी श्री डॉ. गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में ‘बारह व्रत’ कार्यशाला का आयोजन हुआ। साध्वी श्री डॉ. गवेषणाश्री जी ने कहा कि श्रावक की पहली भूमिका सम्यक्त्व है, तो दूसरी भूमिका व्रत की। जो श्रमण धर्म का अभिन्न अंग है। व्रत ऐसा सुरक्षा कवच है जो व्यक्ति को बुराइयों से बचाता है। हम पूरी तरह संयमी जीवन नहीं जी सकते किन्तु असंयम की सीमा तो कर सकते है। विश्व की सारी सुविधाएं हमारे लिए नहीं हैं उसका हम सीमाकरण करें और अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठाये उसका एकमात्र सरल साधन है-बारह व्रत का स्वीकरण।
साध्वी श्री मयंकप्रभा जी ने कहा कि व्रत का तात्पर्य है सुरक्षा जैसे पृथ्वी की सुरक्षा के लिए ओजोन की छतरी है, वैसे ही जीवन की सुरक्षा के लिए व्रत की छतरी आवश्यक है। खेत की सुरक्षा हेतु बाड़ लगाना आवश्यक समझा जाता है वैसे ही उन्नत जीवन के लिए व्रत की जरूरी है।
साध्वी श्री दक्षप्रभाजी ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की। तेरापंथ युवक परिषद, चेन्नई के अध्यक्ष श्री संदीप मुथा एवं तिरुपुर से समागत उपासिका श्रीमती संजू दूगड़ ने विचार रखें। बारहव्रती स्वीकार करने वाले श्रावक-श्राविकाओं को प्रमाण पत्र द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी श्री मेरुप्रभा जी ने किया एवं आभार ज्ञापन श्री सुरेश रांका ने किया।
