मुनि श्री प्रशांतकुमारजी, मुनि श्री कुमुदकुमारजी के सान्निध्य में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम (टीपीएफ), गुवाहाटी द्वारा परिवार एवं अध्यात्म पर कार्यशाला आयोजित हुई। जनसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रशांत कुमारजी ने कहा कि जीवन में सभी को आगे बढ़ना चाहिए। सही रास्ते से विकास करने वाला ऊंचाई पर पहुंचता है। हमारा मूल आधार है-अध्यात्म। नींव हमारी मजबूत है। अध्यात्म जिसके जीवन में होता है वह सही रास्ते से आगे बढ़ता है। जीवन में गुणवत्ता होनी चाहिए। हमारे व्यक्तित्व में अच्छे संस्कार होने अपेक्षित हैं। सामंजस्य से हमारे मानवीय व आध्यात्मिक गुणों का विकास होता है। सेवा-सहयोग का भाव बढ़ता है। सहन करने की शक्ति बढ़ती है। शिक्षा के विकास के साथ जीवन के संस्कार होने चाहिए। जितने भी मानवीय गुण हैं वह अध्यात्म हैं। आर्थिक विकास से जीवन का समग्र विकास नहीं होता है। जीवन में भौतिकता जरूरी है लेकिन इसका संतुलन रहना चाहिए। परिवार में सामूहिक धार्मिक उपासना करने से आनन्द आता है। हम बड़ों के प्रति, गुरु के तथा भगवान के प्रति आभार व्यक्त करें। परिवार में अशांति न हो इसके लिए परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के प्रति आदर-सम्मान का भाव रखें। विनय-वात्सल्य से घर-परिवार का वातावरण सम्यक् रहता है। सुखी परिवार का आधार अध्यात्म होता है। अध्यात्म के बिना सम्यक् जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सुखी परिवार से ही समाज एवं राष्ट्र समृद्ध बनता है। धार्मिकता के संस्कार बचपन में ही आ जाए तो सर्वांगीण गुणों का विकास होता है। गुणों से सम्पन्न व्यक्तित्व दूसरों के लिए प्रेरक बनता है।
मुनि श्री कुमुदकुमारजी ने कहा कि परिवार वह होता है जहां संस्कार, संस्कृति, परम्परा का बोध हो। परिवार में धर्म नहीं है तो मानकर चलना जीवन में सुख-शांति रह नहीं सकती। धर्म का मूल विनय होता है, जिसका सम्बन्ध परिवार के छोटे-बड़े सभी सदस्यों के साथ होता है। विनय, सामंजस्य, मैत्री से धर्म के सूत्र परिवार को सुखी बनाते हैं। इसके अभाव में अहंकार, घृणा, ईर्ष्या, कलह, दुराग्रह बढ़ता है। परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर सप्ताह में एक बार भोजन एवं भजन करें। घर के सदस्य आपस में वार्तालाप करें, जिससे नकारात्मक धारणा दूर हो सके तथा पारिवारिक, सामाजिक, आध्यात्मिक संस्कार विकसित हो सकें। धर्म जोड़ना सिखाता है। जीवन जीने की कला धर्म सिखाता है। विषय प्रस्तुति जितेश चोपड़ा ने दी। आभार श्री अभिषेक कोटेचा ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन श्री राहुल नाहटा ने किया।