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प्रेक्षाध्यान पर विशेष कार्यशाला का आयोजन : बेंगलुरु

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अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में तेरापंथ महिला मंडल, गांधीनगर-बेंगलुरु द्वारा प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष के उपलक्ष्य में प्रेक्षाध्यान पर विशेष कार्यशाला साध्वी श्री उदितयशाजी ठाणा-4 के सान्निध्य में आयोजित की गई। साध्वी श्री शिक्षाप्रभाजी द्वारा ‘आत्म साक्षात्कार प्रेक्षाध्यान के द्वारा’ प्रेक्षा गीत का संगान किया गया। साध्वी श्री भाव्यशाजी ने कहा कि प्रेक्षाध्यान अपने आप में कल्याणकारी है। प्रेक्षाध्यान यानी गहराई से देखना। आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की देन है प्रेक्षाध्यान। प्रेक्षाध्यान यानी अपने विचारों को देखना। विचारों को देखने के साथ-साथ, शरीर प्रेक्षा यानी श्वास प्रेक्षा करना, बंद आंखों से शरीर के एक-एक अव्यय को देखना अनुभूति करना। आगम हमारे साधना का आधार है। आचार्य महाप्रज्ञ जी ने आगम का गहन अध्ययन किया उसका सार है प्रेक्षाध्यान। ध्यान फलदाई होने के लिए हमें चार चरणों का अनुसरण करना होगा। पहला चरण है भाव क्रिया, दूसरा प्रतिक्रिया, तीसरा मैत्रीजन्य भाव चौथा वर्तमान में रहते हुए अपने आप को भावित करें कि, ‘मैं आत्मा हूं’।
साध्वी श्री संगीतप्रभा जी ने कहा कि ध्यान के चार चरण है कायोत्सर्ग, अंतर यात्रा, दीर्घ श्वास प्रेक्षा, ज्योति केंद्र श्वास प्रेक्षा। कायोत्सर्ग का अर्थ है शरीर का शिथिलीकरण। कायोत्सर्ग सब दुखों से मुक्ति दिलाता है। कायोत्सर्ग एक प्रायश्चित का प्रकार है। हमें कम से कम 7 मिनट का स्वतः शिथिलीकरण करना। शिथिलता का सुझाव देना शरीर को तनाव मुक्त करता है और कर्मों से भी मुक्त हो सकते हैं। कायोत्सर्ग का दूसरा अर्थ है विवेक को जगाना, क्योंकि गुस्सा हमारा स्वभाव नहीं है। गुस्से की तरंग आते ही, मस्तिष्क, हार्टबीट और एड्रिनल ग्रंथि को प्रभावित करती हैं।
साध्वी श्री उदितयशाजी ने कहा कि ध्यान सीखना भी एक कला है। ध्यान एक बहुत विशिष्ट वस्तु है। मन को साधना एक विशिष्टतम काम है। मन चंचल है, लेकिन हम उसे वश में कर सकते हैं। ध्यान यानी आत्मा को आत्मा के द्वारा देखें। यह मुश्किल है क्योंकि हम पदार्थ, पुद्गल को देखते हैं। ध्यान को साधने के लिए स्थिरता आवश्यक है। जैन साधना पद्धति को, नवीन नाम दिया गया प्रेक्षाध्यान। ध्यान को स्थिर करने के लिए, आधार को तैयार करना चाहिए। एकाग्रता का आधार होना बहुत जरूरी है। ध्यान सिद्धि के लिए जरूरत है उत्साह, निश्चय, धैर्य, संतोष का अनुभव, त्याग आसक्ति का, स्वाद का और कोलाहल को छोड़ना होगा तभी हम ध्यान को साध सकते हैं।
कार्यक्रम में अध्यक्ष रिजु डूंगरवाल, उपाध्यक्ष लता गादिया, मंत्री ज्योति संचेती, सहमंत्री प्रमिला धोका, प्रचार-प्रसार मंत्री संतान आंचलिया, संगठन मंत्री पवन संचेती, पूर्व अध्यक्ष निर्मल सोलंकी, परामर्शिका उर्मिला जी सुराणा आदि कार्यकारिणी सदस्य बहने उपस्थित थी। आभार ज्ञापन संयोजिका पूर्व अध्यक्ष पुष्पा जी गन्ना ने ज्ञापित किया। लगभग 65 भाई-बहन उपस्थित थे।

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