दिनांक 27 अक्टूबर को तेरापंथ किशोर मंडल, चेन्नई ने ‘अ डे लाइक मॉन्क’ नामक विशेष आयोजन किया। इस आयोजन का उद्देश्य साधु जीवन का अनुशासन और कठिनाइयों को अनुभव करना था, जिसमें 22 प्रतिभागियों ने 24 घंटों तक साधु जीवन का पालन किया। यह आयोजन सुबह 6 बजे से अगले दिन सुबह 6 बजे तक मुनि श्री हिमांशु कुमार जी और मुनिश्री हेमंतकुमार जी के सान्निध्य में हुआ, जिससे सभी प्रतिभागियों को जैन धर्म की शिक्षाओं के प्रति गहन अनुभव प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 6 बजे मंगल पाठ से हुई, जहाँ मुनिश्री के पवित्र वचनों ने वातावरण को आध्यात्मिकता से भर दिया। इसके बाद मुनि श्री हेमंतकुमार जी ने सभी प्रतिभागियों को आयोजन के नियमों के बारे में विस्तार से समझाया और साधु जीवन के अनुशासन का महत्व बताया। उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों को सरल भाषा में समझाते हुए इसे दैनिक जीवन में कैसे अपनाया जा सकता है, इस पर एक विशेष सत्र लिया। 7.45 बजे मुनिश्री हिमांशुकुमार जी ने एक विशेष सत्र का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने जैन धर्म के 8 कर्मों का परिचय दिया और उनकी गंभीरता को समझाया। इसके अतिरिक्त, अन्य जैन धर्म के विषयों पर भी विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें कर्म सिद्धांत और आत्मा की शुद्धि के उपायों का वर्णन किया गया।
तत्पश्चात प्रवचन में कई आगंतुक भी शामिल हुए और मुनि वेश में सभी प्रतिभागियों को देखकर अत्यंत प्रभावित हुए। प्रवचन के दौरान, मुनि श्री ने साधु जीवन के सिद्धांतों पर गहन प्रकाश डाला, जिससे उपस्थित लोगों में साधु जीवन के प्रति आदर और समझ बढ़ी। प्रवचन के पश्चात उपासक संतोष जी रांका ने साधु जीवन के कठिनाइयों और उससे मिलने वाली आत्मशांति पर प्रकाश डाला। इस दौरान, सभी प्रतिभागियों ने साधुजी के अनुसार जीवन जीने की भावना को सजीव अनुभव किया। दोपहर मे सभी ने साधुजी के समान नियमों का पालन करते हुए भूमि पर बैठकर भोजन ग्रहण किया।
तत्पश्चात मुनि श्री हिमांशु कुमार जी ने प्रतिभागियों को पांच समूहों में विभाजित किया और प्रत्येक समूह को जैन धर्म से संबंधित विभिन्न विषयों पर प्रस्तुति देने का कार्य दिया। यह एक टीम गतिविधि थी, जहाँ सभी समूहों को जैन सिद्धांतों के आधार पर प्रस्तुति तैयार करनी थी। प्रस्तुति के बाद मुनि श्री ने प्रत्येक विषय को और विस्तार से समझाया, ताकि सभी प्रतिभागियों को विषय की गहरी समझ मिल सके। शाम के भोजन के बाद सभी ने साधुजी की परंपरा का पालन करते हुए प्रातिक्रमण किया। यह प्रतिक्रमण विजय जी सुराणा ने करवाया था। इसके बाद ‘लोच’ पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया। मुनिश्री ने लोच की विधि और उसके लाभों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि लोच जैन साधुओं के आत्म-अनुशासन और त्याग का प्रतीक है, जो उन्हें सांसारिक इच्छाओं से मुक्ति पाने में सहायता करता है। इसके पश्चात प्रश्नोत्तर सत्र हुआ, जिसमें मुनि श्री ने प्रतिभागियों की विभिन्न जिज्ञासाओं का समाधान किया। फिर सभी प्रतिभागियों ने पौषध के अनुसार सोने की तैयारी की। अगले दिन सुबह 4.30 बजे सभी प्रतिभागी जागे, और 5.10 बजे तक तैयार होकर प्रातः प्रातिक्रमण एवं गुरु वंदना के लिए सभा में उपस्थित हुए। सुबह 6 बजे मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। मुनि श्री हिमांशुकुमार जी ने इस आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की और तेरापंथ किशोर मंडल, चेन्नई के इस प्रयास को सराहा। इस आयोजन की व्यवस्था एवं सफलता में तेरापंथ युवक परिषद, चेन्नई का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। वे दिनभर प्रतिभागियों के साथ रहे।
इस अवसर पर तेरापंथ किशोर मंडल, चेन्नई के प्रभारी हरीश जी भंडारी, सह प्रभारी ऋषभ जी सुखलेचा, संयोजक विशाल सिंघी, सह-संयोजक जैनम भंडारी और रोनक रायसोनी भी इस आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल रहे और कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
तेरापंथ किशोर मंडल, चेन्नई ने अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश जी डागा का भी आभार व्यक्त किया, जिन्होंने एक वीडियो संदेश के माध्यम से चेन्नई मंडल को इस पहल के लिए प्रोत्साहित किया। इस आयोजन से तेरापंथ किशोर मंडल, चेन्नई ने साधु जीवन के महत्व, अनुशासन और जैन धर्म के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने का सफल प्रयास किया। इस तरह के आयोजनों से समाज में जैन सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार और साधु जीवन के आदर्शों का सम्मान बढ़ता है।
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