Jain Terapanth News Official Website

आचार्यश्री तुलसी का 111वाँ जन्म दिवस समारोह : राजसमंद

Picture of Jain Terapanth News

Jain Terapanth News

साध्वी श्री लब्धियशा जी, साध्वी श्री गौरवप्रभा जी, साध्वी श्री कौशलप्रभा जी के सान्निध्य में आचार्यश्री तुलसी का 111वाँ जन्मदिवस अणुव्रत दिवस के रूप में मनाया गया। साध्वी श्री लब्धियशा जी ने कहा आचार्य श्री तुलसी मानवता के मसीहा थे। उन्होंने मानवता के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया द्य साहित्यकार यशपाल के शब्दों में आचार्य तुलसी द्वारा मानवीय एकता की दिशा में किए गए प्रयत्नों ने उन्हें एक ऐसे घरातल पर खड़ा कर दिया जहां न‌वे जैन न बौद्ध न हिन्दु न मुस्लिम न सिख न ईसाई, वे एक मानव थे। वे स्वयं अपने परिचय में कहते मैं पहले मानव बाद में संत हूं। इन्हीं क्रान्तिकारी विचारों का परिणाम कि वे तेरापंथ तक की सीमा तक में आबद्ध न होकर अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। शुक्ल पक्ष दूज का चन्द्र‌मा विशेष होता है। उसकी तीन विशेषताएं होती है। पहली यह बेदाग होता है दूसरी-उसकी कलाएं बढती जाती है। तीसरी सभी लोग देखने की प्रतिक्षा में रहते हैं। आचार्य तुलसी का जन्म भी कार्तिक शुक्ला दूज को हुआ। दूज के चन्द्र‌मा की भांति उनका जीवन चरित्र भी बेदाग रहा। विकास के द्वार खोलते गये। और उनके दर्शन की प्रतिक्षा सभी को रहती थी। ऐसे जन-जन के देवता आचार्य तुलसी को आज श्रद्धा से नमन करते हैं। साध्वी श्री कौशलप्रभा जी ने अपने संयोजकीय वक्तव्य में कहा कि आचार्य तुलानी का व्यक्तिव्य विलक्षण या उनका कर्तृत्व उनका नेतृत्व और उनका वक्तृत्व विलक्षण था। इस अवसर पर अणुव्रत गौरव डॉ. महेन्द्र जी कर्णावट, अणुव्रत समिति राजसमन्द के अध्यक्ष अचल जी धर्मावत,उपाध्यक्ष रमेश माण्डोत, भिक्षु बोधि स्थल मंत्री सागर जी कावडिया ने अपने विचार रखे। महिला मण्डल अध्यक्षा सुधा जी कोठारी एवं बहनों ने समधुर गीतिका प्रस्तुत की। कार्यक्रम का शुभारंभ उपासिक चंचल कोठारी ने तुलसी अष्टकम से किया। आभार ज्ञापन भिक्षु बोधि स्थल अध्यक्ष हर्षलाल जी नवलखा ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन साध्वी श्री कौशल प्रभा जी ने किया।

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स