शासनश्री मुनिश्री रविंद्र कुमार जी एवं मुनिश्री अतुल कुमार जी के सान्निध्य में वृहद मंगलपाठ का आयोजन हुआ। उससे पूर्व मुनिश्री अतुल कुमार जी ने धर्म परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि पुण्य सबल हों तो धन, यश कीर्ति मिलेगी और पुण्य कमज़ोर हों तो दुख मिलेगा। हर इंसान पुण्यवान बनना चाहता है। पुण्यवान बनने के लिए 5-C का ध्यान रखें। पहला ‘C’ Don’t Criticize अर्थात् आलोचना न करें। आज व्यक्ति खाली दिमाग में दुनिया के कचरा भर रहा है। जिस घर के कचरे को कचरा गाड़ी में फेंकते हो तो दुनिया के कचरों को खाली दिमाग में क्यों रखना चाहते हो? दूसरों की आलोचना और निंदा करने का जिसने त्याग कर दिया, उसके संस्कार पवित्र हो जाते हैं। कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जो कभी गलतियां ना करता हो। लेकिन अपनी गलतियों को हम स्वयं नहीं समझ पाते हैं। जब कोई दूसरा हमारी गलतियों की तरफ ध्यान दिलाता है तब हमें उन्हें देखने का मौका मिलता है और हम उनमें सुधार करने की कोशिश करते हैं। आलोचना करने से पुण्य क्षीण होते हैं। आप आलोचना करके खुद का जी जलाते हो। सामने वाले को उससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा। इसलिए हर हाल में प्रसन्न रहें, खुश रहें।
दूसरा ‘C’ Don’t Compare अर्थात् तुलना मत करें। हममें से 99 प्रतिशत लोग एक ऐसे इंसान से जरूर मिले होंगे जो किसी न किसी तरह से हमसे बेहतर हो। जैसे खूबसूरती में दिमाग से या स्कूल की पढ़ाई में। शायद वह हमसे ज्यादा लोगों का चहेता हो सकता है। दूसरे आपसे ज्यादा सेहतमंद हों या उनके पास आपसे अच्छी नौकरी या व्यापार हो। वे आपसे ज्यादा कामयाब हो, शायद उनके पास ज्यादा साजो समान और पैसे हों, एकदम नए मॉडल की गाड़ी हो या कुछ नहीं तो वे आपसे ज्यादा खुश नज़र आते हों। क्या इन सारी बातों में आप अपनी बराबरी दूसरों से करते हैं? खुद को अपनी तुलना दूसरों से भी करने से रोकना मुश्किल है। आजकल हर किसी को परफेक्ट बनना है। अपनी तुलना दूसरों के साथ करना बहुत आम बात है और इनसे जलन का अनुभव होना भी सामान्य गुण है। जिसके कारण हमारे पुण्य कमज़ोर पड़ते हैं। इसलिए तुलना न करें। अगर आप अपनी उपलब्धियों और दक्षता को जांचना शुरू कर देते हैं तो आप सच में आगे बढ़ सकते हैं।
तीसरा ‘C’ Don’t Complaint अर्थात् शिकायत ना करें। यह ऐसी चीज़ है जिसकी हमें लत सी लग गई है। हम हर किसी से हर चीज़ की शिकायत करते रहते हैं। ईश्वर से भी शिकायत करते हैं। हम किसी को भी नहीं छोड़ते शिकायतें करने से और कभी भी हम खुद के भीतर नहीं झांकते। जो मिला, जैसा भी मिला उसमें खुश रहने की बजाय हम शिकायतें करते हैं। हम उस परम शक्ति को धन्यवाद दें जिसने हमें इतनी खूबसूरत जिंदगी देखने को दी। सब कुछ तो दिया है उसने। हम हैं कि उसे ढूंढ ही नहीं पाते हैं। बस शिकायत पर शिकायत करते हैं। समस्याएं आएं तो शिकायत करो, खुशी आए तो शिकायत करो, दुख आए तो शिकायत करो। हर बात में शिकायतों की आदत पड़ गई है। शिकायतें करते रहने से हमारा भाग्य कमज़ोर होता है और शिकायतें करने वाला कभी महान नहीं बन पाता।
चौथा ‘C’ Don’t Cry अर्थात् अपनी प्रॉब्लम्स की दूसरों से चर्चा ना करें। किसी को भी आपकी प्रॉब्लम सुनने की नहीं पड़ी है। पहले तो वो सुनेगा ही नहीं, सुन भी लेगा तो दूसरों के आगे आपका उपहास करेगा। दुनिया कोई डॉक्टर नहीं है जो आप अपनी प्रॉब्लम्स बताते फिरते हो। अपने प्रभु से अपने अच्छे दिनों की प्रार्थना करो और अच्छे कर्म करते रहो। न्याय नीति पर चलें, आज नहीं तो कल आपके जीवन में खुशियों की दिवाली आएगी। हमेशा दुखी रहने से भी पुण्य क्षीण होते हैं।
पांचवां ‘C’ Give Compliment अर्थात् दूसरों की तारीफ करें। दूसरे लोग आपकी प्रशंसा करते हैं तो मन प्रफुल्लित होता है, गर्व अनुभव होता है और लगता है कि हम वस्तुतः प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। पर जब औरों के मुंह से अपनी निंदा, असफलता और तुच्छता की बातें सुनते हैं तो दुख होता है, मन टूटता है, निराशा आती है। अच्छे कार्यों की प्रशंसा करने से हमारे पुण्य बढ़ाते हैं और यश कीर्ति में वृद्धि होती है। इसलिए दूसरों की प्रशंसा करने की आदत डालें। मुनि श्री रविंद्र कुमार जी ने वृहद मंगल पाठ सुनाया और एक वर्ष के लिए सामूहिक संकल्प करवाए।