Jain Terapanth News Official Website

आरोग्य हेतु करें आध्यात्मिक लक्ष्मी की आराधना : रायपुर

Picture of Jain Terapanth News

Jain Terapanth News

मुनिश्री सुधाकर जी ने रायपुर स्थित जय समवशरण में दीपावली पर दिनांक 31.10.2024 को विषय विशेष सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि दीपावली का पर्व महत्वपूर्ण है। यह कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से प्रारंभ होकर अमावस को संपन्न होता है। कुछ पर्व साधना के लिए बहुत उपयुक्त होते हैं, जिसमें दीपावली भी विशेष है। कुछ लोग दीपावली के अवसर पर 3 दिन का उपवास करते हैं। तप अनुष्ठान के साथ-साथ जप अनुष्ठान भी करते हैं। जप का अपना महत्व है। जप के द्वारा हम अपने लक्ष्य की दिशा में बहुत आगे बढ़ सकते हैं। दीपावली को लक्ष्मी का पर्व माना जाता है। इस दिन लोग लक्ष्मी की आराधना करते हैं। किंतु यह केवल लक्ष्मी पूजन का ही नहीं एक आध्यात्मिक पर्व भी है। यह पर्व लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है, राम के अयोध्या आगमन से जुड़ा हुआ है, जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर भगवान महावीर के निर्वाण से भी जुड़ा हुआ है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि आंतरिक गुणों का विकास भी एक प्रकार की अमूल्य संपदा है जिस व्यक्ति के पास भीतर का प्रकाश नहीं होता है उसके आंतरिक गुणों का विकास नहीं होता है। उसमें आत्म बल नहीं होता है, व्यक्ति धनी होकर भी दरिद्र बना रहता है। जिसके आंतरिक गुणों का विकास होता है वह अत्यंत साधारण स्थिति में भी दुनिया का महापुरुष बन जाता है। हम उस आध्यात्मिक लक्ष्मी की कामना करें। जिसकी प्राप्ति से जीवन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से उत्कर्ष पर पहुंच जाए। मुनिश्री ने आगे कहा कि लक्ष्मी की कामना सबको रहती है। लक्ष्मी के बिना किसी का काम नहीं चलता है। किंतु लक्ष्मी का कोई एक रूप नहीं है, इसे केवल धन तंत्र ही नहीं माने ।मंत्र जाप में श्री का प्रमुख स्थान है, श्री बीज मंत्र लक्ष्मी का है। मुनिश्री ने विभिन्न लक्ष्मी रूपों की चर्चा करते हुए कहा आंतरिक गुणों का विकास, आरोग्य अंतर्दृष्टि समाधि निर्मलता तेजस्विता, गंभीरता यह भी लक्ष्मी के रूप हैं। दीपावली पर्व पर हमें इन गुणों की भी विशेष आराधना करनी चाहिए। जिससे लक्ष्मी का यह रूप भी प्राप्त हो सके। प्राप्तकर्ता विशिष्टतम व्यक्तित्व का धनी होता है, उसका जीवन सुख, शांति और आनंद का पर्यायवाची बन जाता है।
मुनिश्री नरेश कुमार जी ने सुमधुर गीतिका का संगान।

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स