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अध्यात्म शक्ति ही सर्वाेपरि शक्ति : सिरियारी

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नवरात्र पर्व की सम्पन्नता एवं विजयादशमी पर्व की पूर्व संध्या पर भिक्षु समाधि स्थल-सिरियारी के हेम अतिथि भवन में मुनि श्री मणीलाल जी के सान्निध्य में मुनि चौतन्य कुमार अमन ने बेंगलोर से समागत संघ को सम्बोधित करते हुए कहा कि आश्विन माह में आने वाला शारदीय नवरात्र एवं विजय दशमी का पर्व शक्ति सम्पन्न बनने का पर्व है। इस अवसर पर शारीरिक, मानसिक, तथा आध्यात्मिकता की दृष्टि से जप-तप साधना के द्वारा व्यक्ति शक्ति सम्पन्न बनने का प्रयास करता है ताकि वह आने वाले कष्टों को परास्त कर सकता है। यद्यपि सर्वाेपरि शक्ति है- अध्यात्म की, आत्मा की। आत्म शक्ति व्यक्ति को हर ऊंचाईयां प्रदान करने वाली होती है। अतः व्यक्ति को आत्म शक्ति को जागृत करने की दिशा में प्रस्थान करने की भावना रखनी चाहिए।
मुनि अमन ने आगे कहा कि विजय दशमी का पर्व आत्म-विजय की ओर अग्रसर करने वाला पर्व है। आसुरी शक्ति पर देवीय शक्ति, असत् पर सत्, दूराचार पर सदाचार की विजय का पर्व है। आत्म शक्ति सम्पन्न व्यक्ति ही जीवन में विजय प्राप्त कर सकता है। तप-जप-साधना को यथोचित रूप में करने से ही व्यक्ति लब्धि सम्पन्न बन सकता है। इस अवसर पर बैंगलोर संघ के अतिरिक्त अनेक स्थानों से श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।

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