मुनि विकास कुमार जी ने ’ओम् भिक्षु जय भिक्षु’ का सवा लाख जाप के साथ नवरात्रि पर नौ दिन की मौन साधना संपन्न हुई। मौन की साधना करने वाले व्यक्ति का अपने आप ही निखर जाता है व्यक्तित्व मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’’ शहर के अररिया कोर्ट स्थित तेरापंथ सभा भवन में आचार्य श्री महाश्रमण जी के विद्वान् सुशिष्य ठाणा-२ के पावन सान्निध्य में नवरात्रि के उपलक्ष में नौ दिनों तक निरंतर नवान्हिक आध्यात्मिक जप अनुष्ठान का कार्यक्रम आयोजित किया गया कार्यक्रम में महिलाओ व पुरुषों ने बड़े उत्साह व उमंग के साथ बढ़-चढ़कर अनुष्ठान में भाग लिया।आज मुनि विकास कुमार जी ने ओम् भिक्षु जय भिक्षु का सवा लाख जप के साथ नवरात्रि पर नौ दिन की मौन साधना संपन्न हुई। इस अवसर पर मौन तप अनुमोदना का कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ महा मंत्रोच्चार के साथ हुआ। मुनिश्री ने मुनि श्री विकास कुमार जी को वृहद् मंगल-पाठ सुनाया। तत्पश्चात तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष सरिता बेगवानी मंत्री सुरभि दूगड़, सह मंत्री कांता बेगवानी, कल्पना चिंडालिया, ‘मौन में है शक्ति अद्भुत संत -जन गाते’ गीत से मंगलाचरण किया। इस मौके पर मुनिश्री विकास कुमार जी ने गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी वह मुनिश्री आनंद कुमार जी कालू के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की, साथ ही मौन पर आधारित भावपूर्ण गीतिका की प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल व तेरापंथ कन्या मंडल से सरिता बेगवानी, सुरभि दूगड़, कविता बोथरा, प्रेक्षा बोथरा, सुनीता हिरावत, माला छाजेड़, प्रमिला मालू, शांति बोथरा, सरोज चौरड़िया, श्वेता भूरा, सुश्री प्रांजल जैन, सुश्री यशिता बोथरा, सुश्री रिद्धि चौरड़िया, सुश्री माही बोथरा, सुश्री एकता चौरडिया। सामूहिक मंगल भावना की रोचक प्रस्तुति देते हुए ‘हमारे गुरुवर है ज्योतिर्मय भगवान’ पर आधारित महाश्रमण पर गीतिका की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में श्रीमती भारती चोपड़ा (नर्रैया) ने भी भावपूर्ण गीतिका की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में अपने मंगल पाथेय में अपने प्रवचन में मौन साधना करने वाले मुनि विकास कुमार जी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि वाणी संयम के लिए मौन का प्रयोग सर्वाधिक उपयुक्त है, बोलना जितना सहज सरल है मौन रखना उतना ही कठिन है जो व्यक्ति मौन की साधना कर लेता है उस व्यक्ति का व्यक्तित्व अपने आप निखरने लग जाता है वह व्यक्ति अपनी संयमित वाणी से सबको अपना बना सकता है। उन्होंने कहा कि मुनि श्री ने कहा की भगवान महावीर ने अपनी साधना काल में अधिकतम समय मौन व ध्यान मै रहकर ही बिताया था। केवल न बोलना ही मौन नहीं है कलात्मकपूर्वक बोलना भी मौन है। इस तीन इंच की जीभ में इतनी ताकत होती है कि वह छह फूट के मनुष्य को भी विनाश कर देती है। कहते भी हैं कि जिह्वा में लगा हुआ घाव भर जाता है लेकिन जिह्वा के द्वारा दिया गया शब्दों का घाव कभी नहीं भरता है। इसलिए व्यक्ति को हमेशा ही संयमित, संतुलित और व्यवहारिक भाषा का अमृत और विष दोनों का कार्य कर सकता है। इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष धर्मचंद जी चोरडिया एवं मंत्री राजू जी दुधेडिया, नेपाल बिहार के पूर्व अध्यक्ष भैरू दान जी भूरा, मुनि श्री विकास कुमार जी के संसारपक्षीय भाई सागरमल जी चिंडालिया, संसार पक्षीय काका चांदमल जी श्रीमाल (जलालगढ़) तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा सरिता बेगवानी, मंत्री सुरभि दूगड़, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष भंवर लाल जी बेगवानी, पूर्व अध्यक्ष महावीर जी अग्रवाल, क्षेत्रीय ज्ञानशाला के प्रभारी बीरेंद्र जी भूरा, ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका माला छाजेड, योगेंद्र दास ज्ञान सागर दास (गीतवास), तेरापंथ कन्या मंडल प्रभारी ज्योति बोथरा आदि ने मौन अपने विचार व्यक्त करते हुए मुनि विकास कुमार जी आध्यात्मिक जीवन के प्रति मंगल कामना व शुभकामना व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल व सफल संचालन मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ने किया किया। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा अररिया कोर्ट ने आभार व्यक्त किया।
लेटेस्ट न्यूज़
संरक्षणम् कार्यशाला का आयोजन : चेन्नई
|
आचार्यश्री तुलसी का 111वां जन्म दिवस समारोह : बरपेटा रोड
|
मानव कल्याण के लिए पूर्ण समर्पित था आचार्यश्री तुलसी का जीवन : नाथद्वारा
|
खुशियों की दीपावली कार्यशाला का आयोजन : कालीकट
|
श्रावक सम्मेलन का आयोजन : असाडा
|
ज्ञान की आराधना से सौभाग्य, लाभ, सुख की प्राप्ति होती है : रायपुर
|