साध्वीश्री मंजूयशा जी ठाणा-4 के पावन सान्निध्य में तेरापंथ सभा द्वारा परिसंवाद (नाटक) प्रतियोगिता दिनांक 6 अक्टूबर, 2024 को तेरापंथ सभा भवन, नाथद्वारा में आयोजित हुआ। इस प्रतियोगिता में परिसंवाद नाटक थे वे सभी शिक्षा पद थे। इसमें सभी भाई बहनों ने अच्छा श्रम समय लगाकर अच्छी-अच्छी तैयारी की। इसमें प्रतियोगिता परी संवाद में पहला 1. परिसंवाद था गुरुजनों का हमेशा आदर और सम्मान करना इसमें बच्चों ने स्वयं ने युगानुकूल नाटक बनाकर अपनी सुंदर प्रस्तुति दी। 2. ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ यानी परिवार में बुजुर्ग पिता की सेवा करना उसके साथ मृदुुता का व्यवहार एवं उनकी सेवा करके उनको शांति समाधि देना ताकि हमारे आने वाली पीढ़ी में भी सेवा भावना के संस्कार सुरक्षित रहे। 3. दहेज एक अभिशाप-लड़के के पिता नगर सेट होने पर जो जो मांग यानी गाड़ी, बंगला आदि की मांग करने का पर शिक्षित लड़की से सुना तो उसने दहेज की मांग का प्रतिकार करते हुए संकल्प किया कि जहां दहेज मांगा जाए वहां हम शादी नहीं करेंगे जिसमें सबको अच्छी प्रेरणा मिली। 4. जाट जाटनी अनपढ़ जानी ने अंग्रेजी भाषा को सीखने का प्रयास करने पर भी वहां नहीं सीख पाई। 5. बेटी बचाओ- वर्तमान में बलात्कार, अत्याचार से नारी की शक्ति को जागृत कर शिक्षित कर अपनी सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है इस पर महिलाओं व कन्याओं ने प्रेरणादाई प्रस्तुति दी। 6. मुकदमा नंबर 724 – इस परि संवाद में जैन साध्वीयों पर गलत आरोप लगाया उसमें विपक्षी वकील ने जो आरोप लगाया उसमें पक्षियों वकील ने गवाहों की सत्यता साबित कर जज ने निर्णय लिया कि जैन साध्वियों पर लगाने वाले आरोप सरसर में बेबुनियाद है इस तरह न्याय करके त्याग, तपस्या व चारित्र का मान बढ़ाया। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी। 7. रिश्तो में मिठास-सास-बहू के बीच में रिश्तों में कैसे मधुरता ,प्रेम ,सौहार्द व स्वर्ग बन सकता है बहनों ने बहुत रोचक प्रस्तुति दी। 8. अज्ञान से ज्ञान की ओर – ज्ञानशाला के बच्चों द्वारा सुंदर प्रस्तुति ज्ञान की शुद्धि से जीवन को संस्कारीत कर आगे बढ़ना। 9. शराबी वर्तमान युग में शराब का प्रचलन कुछ ज्यादा ही है जिससे पैसा बर्बाद, परिवार बर्बाद, घर बर्बाद इससे बचने के लिए नशा मुक्त होना जरूरी है। 10. सुसाइड – बच्चों में डिग्री प्राप्त करना ही लक्ष्य बन गया। जिससे कड़ी मेहनत करने पर भी नंबर काम आने पर देता को देता है और आत्म हत्या करके अपनी जीवन लीला को समाप्त कर देता है। उसके लिए धारिता एवं माता-पिता की सहानुभूति की आवश्यकता रहती है- बच्चों द्वारा प्रेरणादायक प्रस्तुति। 11. क्षमा याचना – नंद भाभी के बीच की प्रसंग कभी-कभी आपस में किसी बात को लेकर गहरी तकरार हो जाए तो दोनों और से शांति से एक दूसरे की गलती को भूल सरल मन से क्षमा याचना करके आपसी प्रेम सुरक्षित रहे। बहनों द्वारा सुंदर प्रस्तुति दी गई।
साध्वी श्रीजी ने सुंदर-सुंदर प्रस्तुति देखकर अपनी ओर से सबको बहुत-बहुत साधुवाद देते हुए कहा – परीसंवाद प्रस्तुत करना यह भी एक विकास का माध्यम है। इससे व्यक्ति के बोलने की कल वह वक्तृत्व कला का विकास होता है। और श्रोता परिषद को भी अच्छी प्रेरणा मिलती है। युगानुकूल ऐसे कार्यक्रम समय- समय पर होने से वर्तमान पीढ़ी को भी प्रेरणा मिलती है। सभी परीसंवाद प्रेरणादाई थे। साध्वी श्री जी ने सब की सराहना कर सबको धर्म के क्षेत्र में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
इस प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय, तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को पुरस्कृत किया गया और भाग लेने वाले सभी भाई बहनों को सभा की ओर से प्रोत्साहन पुरस्कार भी प्रदान किया गया। परिणाम निकालने वाले श्री विजय जी सिसोदिया,श्री संदीप जी सुराणा एवं तीसरे जज थे रमेश जी मुथा। पूरी जागरूकता से तीनों ने उपयुक्त नंबर द्वारा परिणाम प्रस्तुत किया।
तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री विश्वजीत जी ने साध्वी वृंद के प्रति ,जजमेंट करने वालों के प्रति, प्रतियोगिता में संभागीय सभी भाई-बहनों के प्रति एवं पूरी श्रोता परिषद के प्रति तेरापंथ सभा की ओर से हार्दिक कृतज्ञता एवं आभार व्यक्त किया गया। तथा इस कार्यक्रम में पुरस्कार हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करने वाले श्री चुन्नीलाल जी राजेंद्र जी हिरण के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन सभा के उपाध्यक्ष श्री प्रियंक जी तलेसरा ने बड़े व्यवस्थित रूप से किया। सभी की ओर से तीनों निर्णायकों का भी सम्मान किया गया। मंगल पाठ से कार्यक्रम सानंद संपन्न हुआ। भाई बहनों की उपस्थिति सराहनीय रही।
