साध्वीश्री परमयशा जी के सान्निध्य में 222वां भिश्रु चरमोत्सव के कार्यक्रम का समायोजन हुआ। डॉ. साध्वी श्री परमयशा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अतीन्द्रिय ज्ञान की अनूठी शान लिए आए भिक्षु समस्याओं का समुचित समाधान लिए आए भिक्षु, तारों के बीच चमकते चांद से थे मेरे आराध्य, इस जहां में अपनी अलग पहचान लिए आए भिक्षु समयज्ञ, तत्त्वज्ञ, जैन आगमों के मर्मज्ञ विशेषज्ञ थे अध्यात्म के महान ज्ञाता थे। नॉलेज के लिए कॉलेज में नहीं गए पर 38 हजार साहित्य का सृजन करके कीर्तिमान बना दिया। आत्मारा कारज सरस्या मर पूरा देस्या इस आश्वास विश्वास के साथ वे तपस्विनी में आतापना लेते। 5 वर्ष तक आहार पानी, स्थान पूरा नहीं मिला फिर भी भिमु स्वामी Be Positive, Of Attractive, Be Confident रहे। वे महान चर्चावादी थे। जो हराने आए वे हार गए। भिक्षु जीवन के संध्याकाल में उच्चकोटि की आराधना की। उन्होंने संथारा ग्रहण किया। सबसे खमतखामना किया। मेरे जीवन में कोई उणायत नहीं रही। मैंने तुम्हारे योग से अच्छा साधुपन पाला। अतीन्द्रिय ज्ञान प्राप्त किया। संतों को शिक्षाएं प्रदान की- परस्पर हेत रखना, किसी में अवगुण मत देखता। ऐसे सध्यात्म महानायक की भावांजलि विग्यांजलि श्रद्धांजलि में जितना कहे उतना कम है से स्वामीजी के प्रति विनयांजलि अर्पित की।
अंतिम यात्रा में 108 गांवों के लोग शामिल हुए उसे समय में 500 रुपये के सिक्के उछाल गए। आराध्य प्रातः स्मरणीय की अभ्यर्थना में सब बोले All the Best आर्य भिक्षु। साध्वी मुक्ताप्रभाजी ने रोचक और भावपूर्ण वक्तव्य के माध्यम से स्वामी जी के प्रति विनयांजलि अर्पित की। साध्वी कुमुदमाजी ने स्वामीजी की ओत्पत्ति की बुद्धि, सत्य, साहस, स्वाभिमान के बारे में बताते हुए उनके प्रति भावों की श्रद्धांजलि अर्पित की। भिक्षु चरमोत्सव पर तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती सीमा बाबेल,
श्रीमान निर्मल जी जैन, तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री श्रीमान ज्योति कच्छारा, श्रीमान मनोज जी लोढा, श्रीमान् विनोद जी कच्छारा, श्रीमति सुमन जी डागलिया, श्रीमान कन्हैयालाली चौरडिया, श्री मति कांता खिमावत, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष श्रीमान भूपेश जी खमेसरा आदि सभी ने अपने आराध्य के प्रति भावों की प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मंडल ने भिक्षु चरमोत्सव पर गीत का संगान किया।
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