अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वावधान में मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के सातवें दिन जीवन विज्ञान दिवस का आयोजन प्रेक्षा विहार में अणुव्रत समिति हावड़ा एवं कोलकाता द्वारा किया गया। इस अवसर पर जैन विद्यालय के बच्चे विशेष रूप से उपस्थित रहे।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा जो जैसा है वह वैसा रहना पसंद नहीं करता है। बीज भी वृक्ष बनना चाहता है। छोटा भी बड़ा बनना चाहता है। जीवन में सब बदलाव चाहते हैं। बदलाव का महत्त्वपूर्ण सूत्र है- शिक्षा। शिक्षा से व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होता है। ग्रहणात्मक शिक्षा के साथ आचरणात्मक शिक्षा अपनाई जाए तो सोने में सुहागा जैसी कहावत चरितार्थ होती है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने शिक्षा जगत को जीवन विज्ञान का अवदान दिया। जीवन विज्ञान की शिक्षा का तात्पर्य है- मन, वाणी और काया को शिक्षित करना। जीवन विज्ञान शिक्षा का नया आयाम है। इसके द्वारा स्थूल जगत से सूक्ष्म जगत में प्रवेश किया जा सकता है। जीवन विज्ञान जीवन निर्माण की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। जीवन विज्ञान जीवन मूल्यों की पुनस्थापना का प्रयास व जीवन को संतुलित बनाने का उपाय है। जीवन विज्ञान मूल्य आधारित शिक्षा पद्धति का उपक्रम है। इसके द्वारा संवेगों को नियंत्रित कर जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।
इस अवसर पर जैन विद्यालय की छात्रा सुश्री सौम्याश्री चक्रवर्ती ने अपने विचार व्यक्त किये। स्वागत वक्तव्य अणुव्रत समिति हावड़ा के अध्यक्ष दीपक नखत ने व आभार ज्ञापन मंत्री बिरेंद्र बोहरा ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री परमानंद ने किया।
